Windfall Tax: मोदी सरकार ने कच्चा तेल निकालने वाली कंपनियों को बड़ी राहत दी है. महीनों के विचार-विमर्श के बाद सरकार ने घरेलू स्तर पर उत्पादित कच्चे तेल और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (ATF) पर विंडफॉल टैक्स को सोमवार को खत्म कर दिया है. यह कदम तत्काल प्रभाव से लागू हो चुका है. 30 महीने पुराने विंडफॉल टैक्स (अप्रत्याशित लाभ कर) को खत्म करने का फैसला अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों में लगातार गिरावट के बाद लिया गया है.
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्य सभा में एक अधिसूचना पेश की, जिसमें राज्य के स्वामित्व वाली तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) जैसी फर्मों द्वारा उत्पादित क्रूड ऑयल और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड जैसी कंपनियों द्वारा किए गए ईंधन के निर्यात पर लेवी को खत्म कर दिया गया.
30 जून, 2022 के आदेश को किया गया रद्द
खबर के अनुसार, वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि 30 जून, 2022 के आदेश को रद्द कर दिया गया है. कच्चे तेल जैसे ईंधन के उत्पादन और जेट ईंधन (एटीएफ), डीजल और पेट्रोल के निर्यात पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क (एसएईडी) लगाने को वापस ले लिया. पीटीआई की खबर के अनुसार, पेट्रोल और डीजल के निर्यात पर लगाया गया सड़क और बुनियादी ढांचा उपकर (आरआईसी) भी हटा दिया गया है.
कब लगाया गया था विंडफॉल टैक्स
भारत में पहली बार 1 जुलाई, 2022 को विंडफॉल टैक्स लगाया गया था. इसके साथ ही भारत ऊर्जा कंपनियों के असाधारण मुनाफे पर टैक्स लगाने वाले देशों की बढ़ती संख्या में शामिल हो गया था. उस समय पेट्रोल और एटीएफ पर 6 रुपये प्रति लीटर यानी 12 डॉलर प्रति बैरल और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर यानी 26 डॉलर प्रति बैरल का निर्यात शुल्क लगाया गया था. घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन पर 23,250 रुपये प्रति टन यानी 40 डॉलर प्रति बैरल का विंडफॉल टैक्स लगाया गया था.
क्या होता है विंडफॉल टैक्स?
बता दें कि आम नागरिक को विंडफॉल टैक्स किसी भी तरह से प्रभावित नहीं करता है. दरअसल, यह घरेलू लेवल पर कच्चे तेल का उत्पादन करने वाली कंपनियों पर लगाया जाता था. सरकार ने घरेलू बाजार में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए 1 जुलाई 2022 को इनके निर्यात पर विंडफॉल टैक्स लगाया था.
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