एक सरकारी बयान के मुताबिक, फार्मास्युटिकल्स विभाग (डीओपी) के तहत राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) ने 928 अनुसूचित योगों के लिए अधिकतम मूल्य और 3,200 से अधिक नई दवाओं के लिए खुदरा मूल्य तय किए हैं. नतीजतन, आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) 2022 के तहत कीमतों में औसतन 17% की कमी आई है, जिससे रोगियों के लिए अनुमानित वार्षिक 3,788 करोड़ रुपये की बचत हुई है.
इसके अलावा, केंद्र प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के माध्यम से सस्ती दवाओं को सुनिश्चित करता है, जन औषधि केंद्रों के माध्यम से 50-80% कम कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं प्रदान करता है. अमृत पहल के तहत, कैंसर, हृदय रोगों और सर्जिकल प्रत्यारोपण के लिए दवाएं चयनित अस्पताल फार्मेसियों में 50% तक की छूट पर उपलब्ध हैं. उल्लेखनीय है कि आवश्यक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर आने वाले रोगियों के व्यय को कम करने के लिए सरकार ने निःशुल्क औषधि सेवा पहल शुरू की है, जिसके तहत राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश सरकारों को निम्नलिखित के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है:
- · उप-स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर 106 दवाएँ
- · प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर 172 दवाएँ
- · सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर 300 दवाएँ
- · उप-जिला स्वास्थ्य स्तर पर 318 दवाएँ
- · जिला अस्पतालों में 381 दवाएँ
वर्तमान में, 2,047 दवाएँ और 300 शल्य चिकित्सा, चिकित्सा उपभोग्य वस्तुएँ और उपकरण PMBJP योजना उत्पाद टोकरी के अंतर्गत हैं, जो सभी प्रमुख चिकित्सीय समूहों को कवर करती हैं. फार्मास्युटिकल्स विभाग ने 31 मार्च तक उत्पाद टोकरी को 2,100 दवाएँ और 310 शल्य चिकित्सा, चिकित्सा उपभोग्य वस्तुएँ और उपकरणों तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है. NPPA द्वारा अनुसूचित और गैर-अनुसूचित दोनों दवाओं की कीमतों की निगरानी की जाती है.