Petrol-Diesel GST: केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) को एक बार फिर से पेट्रोलियम मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है. हरदीप सिंह पुरी ने मंत्रालय का पदभार संभालते ही कहा, वह पेट्रोल, डीजल और नेचुरल जैसी वस्तुओं को जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार कर रहे हैं. ऐसा होने से ईंधन की महंगी कीमत से लोगों को राहत मिलने की उम्मीद है. यदि पेट्रोल-डीजल पर मौजूदा टैक्स सिस्टम को खत्म कर GST लागू किया जाता है तो इनकी कीमतें काफी कम हो सकती हैं. आइए आपको बताते, कि यदि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया गया तो इनकी कीमतें कितनी कम हो सकती हैं.
ईंधन के दामों में 50% से ज्यादा है टैक्स
वर्तमान में पेट्रोल की खुदरा कीमत में करीब 55 फीसद तक केंद्र व राज्य के करों का हिस्सा है. बात अगर दिल्ली की जाए, तो यहां पेट्रोल 94.72 रुपये प्रति लीटर है. इंडियन ऑयल कारपोरेशन की वेबसाइट के अनुसार, दिल्ली में डीलर को पेट्रोलियम कंपनी से मिलने वाले पेट्रोल के दाम 55.66 रुपये प्रति लीटर हैं. इसमें 19.90 रुपये की एक्साइज ड्यूटी, 3.77 रुपये का डीलर कमीशन और 15.39 रुपये का वैट लगाया जाता है. इस तरह ग्राहकों तक आते-आते 55.66 रुपये का पेट्रोल 94.72 रुपये प्रति लीटर का हो जाता है. इसी प्रकार डीजल के दाम भी कम हो सकते हैं.
GST लागू होने से कम होंगी कीमतें
मौजूदा समय में GST में करों को चार स्लैब – 5%, 12%, 18% और 28% में बांटा गया है. अगर 28% वाले सबसे महंगे स्लैब में ईंधन को रखा गया, तब भी पेट्रोल की कीमतें मौजूदा रेट से काफी कीम हो जाएगी. अनुमान लगाएं तो 55.66 रुपये के डीलर प्राइस पर यदि 28 फीसद की दर से GST लगाया जाए तो पेट्रोल की खुदरा कीमत 72 रुपये के आस-पास आ सकती है. यानी पेट्रोल की खुदरा कीमत 22-23 रुपये तक कम हो सकती है.
एक्साइज और वैट से कमाई करती हैं सरकारें
पेट्रोल और डीजल की कीमत पर एक्साइज ड्यूटी से जहां केंद्र सरकार की कमाई होती है, वहीं राज्य सरकारें वैट लगाकर अपना राजस्व बढ़ाती हैं. राज्यों में वैट की अलग-अलग दरों के वजह से पेट्रोल और डीजल के दाम भी राज्यों के अनुसार अलग-अलग होते हैं. दिल्ली में पेट्रोल की खुदरा कीमत पर 35 रुपये के आस-पास का टैक्स शामिल होता है. इसमें करीब 20 रुपये केंद्र सरकार की झोली में जाते हैं, तो राज्य सरकार करीब 10 रुपये की कमाई करती है.
राज्यों में ईंधन की कीमत पर वैट अलग-अलग हैं. जैसे आंध्र प्रदेश में 31 प्रतिशत, कर्नाटक में 25.92 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 25 प्रतिशत और झारखंड में पेट्रोल पर 22 प्रतिशत के करीब वैट वसूला जाता है. वहीं, डीजल पर आंध्र प्रदेश में 22 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ में 23 प्रतिशत, झारखंड में 22 प्रतिशत और महाराष्ट्र में 21 प्रतिशत वैट लगता है.
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