Vande Bharat Express Export: वंदे भारत एक्सप्रेस देश में रेल यात्रियों की पहली पसंद बनते जा रही है. यह सेमी हाई स्पीड ट्रेन अपने सुविधाओं और गति के कारण रेल यात्रियों की पहली पसंद है. इस ट्रेन के दीवाने न केवल भारत के लोग हैं, बल्कि इस ट्रेन की डिमांड अब विदेशों में भी होने लगी है. सरकार की योजना है कि आने वाले समय में इस सेमी हाई स्पीड ट्रेन के निर्यात पर भी बात बने. इस बात का खुलासा रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने किया है.
उन्होंने बताया कि कई देशों ने वंदे भारत एक्सप्रेस को खरीदने के लिए पूछ-परख की है. आने वाले कुछ सालों में इस ट्रेन को निर्यात करने के दिशा में भी कदम बढ़ाए जाएंगे. जिससे भारत इस शानदार ट्रेन का निर्यात शुरू कर देगा.
विदेशों में भी चलेगी वंदे भारत एक्सप्रेस
दरअसल, एक मीडिया रिपोर्ट में छपी जानकारी के अनुसार आने वाले सालों में वंदे भारत एक्सप्रेस विदेशों में भी चलेगी. एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेल मंत्रालय स्वदेशी डिजाइन और दक्षता के साथ सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की इकाइयों के अलावा वंदे भारत ट्रेन के कंपोनेंट के निर्माण के लिए अपनी कार्यशालाओं को सक्षम बना रहा है.
रेल मंत्री ने आगे कहा, “वंदे भारत ट्रेन का अपने देश में अपने इंजीनियर्स की सहायता से निर्माण करना एक बड़ी चुनौती थी. इसी चुनौती पर हमने विजय पा ली है.” उन्होंने दावा किया कि आने वाले कुछ वर्षों में भारत दूसरे देशों को वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन निर्यात करने में सक्षम हो जाएगा.
जानिए देश में कितनी वंदेभारत एक्सप्रेस चल रहीं
जानकारी दें कि वर्तमान में देश में कुल 82 वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनें चल रही हैं. रेल मंत्री ने जानकारी देते हुए कहा कि वंदे भारत एक्सप्रेस की स्पीड बढ़ाने का काम चल रहा है. वर्तमान में चलने वाली ट्रेन 130 किलोमीटर की रफ्तार से चल रही है. उन्होंने बताया कि नई दिल्ली-मुंबई और नई दिल्ली- हावड़ा रूट पर वंदे भारत ट्रेनों को 160 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से चलाने के प्रयास किया जा रहे हैं.
देश में प्रतिदिन 15 किलोमीटर बन रहा नया ट्रैक
जानकारी दें कि देश में जब से एनडीए की सरकार आई है, लगातार नए आयाम स्थापित हो रहे हैं. केंद्रीय रेल मंत्री ने कहा कि अब जाकर भारत में नए रेलवे ट्रैक के निर्माण को गति मिली है. उन्होंने आंकड़ों को समझाते हुए कहा कि साल 2004 से 2014 तक औसतन प्रतिदिन चार किलोमीटर रेलवे ट्रैक का निर्माण हो पाता था. हालांकि अब देश में हर दिन 15 किलोमीटर में पटरियां बिछाई जा रही हैं. दस सालों में 41 हजार किलोमीटर रेलवे नेटवर्क का इलेक्ट्रिफिकेशन किया गया है.
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