G.E. से पहला इंजन मिलने के बाद Tejas Mark-1A लड़ाकू विमान का उत्पादन होगा तेज

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (General Electric) ने तेजस मार्क-1A फाइटर जेट (Tejas Mark-1A Fighter Jet) के लिए पहला F-404 टर्बोफैन इंजन हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को सौंप दिया है. यह डिलीवरी करीब दो वर्ष की देरी के बाद हुई है. अब एचएएल स्वदेशी लड़ाकू विमान के उत्पादन को तेज करने की तैयारी कर रहा है. हालांकि, HAL को तेजस मार्क-1A के अन्य लंबित विकास कार्यों को भी पूरा करना होगा, जिसमें एस्ट्रा एयर-टू-एयर मिसाइल का परीक्षण और कुछ महत्वपूर्ण सिस्टम का एकीकरण शामिल है. इन चुनौतियों के कारण अब तक उत्पादन में देरी हुई है.
भारतीय वायु सेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने हाल ही में HAL पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि वायुसेना को हर साल कम से कम 40 नए फाइटर जेट्स की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि IAF की स्क्वाड्रन संख्या गंभीर रूप से कम हो गई है और इसे युद्ध के लिए तैयार रहने के लिए जल्द ही नए विमानों की जरूरत है. GE एयरोस्पेस ने बुधवार को पुष्टि की कि उसने पहला इंजन HAL को डिलीवर कर दिया है. यह डिलीवरी आसान नहीं थी, क्योंकि F-404 इंजन उत्पादन लाइन पिछले पांच वर्षों से निष्क्रिय थी और इसे दोबारा शुरू करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य था.
GE ने इसके लिए अपनी वैश्विक सप्लाई चेन को फिर से सक्रिय किया. HAL ने कहा कि वह धीरे-धीरे अपने उत्पादन को बढ़ाकर हर साल 20 तेजस विमान तैयार करेगा और फिर इसे 24 प्रति वर्ष तक बढ़ाने की योजना है. नासिक में तीसरी उत्पादन लाइन शुरू होने से बेंगलुरु की मौजूदा दो लाइनों को अतिरिक्त समर्थन मिलेगा.
अब तक भारतीय वायुसेना को 40 तेजस मार्क-1 जेट्स में से केवल 38 ही मिले हैं, जिन्हें 2006 और 2010 में हुए दो अलग-अलग समझौतों के तहत ऑर्डर किया गया था. 2021 में HAL के साथ 83 तेजस मार्क-1A विमानों का ₹46,898 करोड़ का सौदा हुआ था, लेकिन अब तक एक भी डिलीवर नहीं हुआ है. IAF को 220 तेजस फाइटर्स की जरूरत है, जिसमें 97 नए तेजस मार्क-1A जेट्स के लिए ₹67,000 करोड़ का ऑर्डर पाइपलाइन में है. इसके अलावा, IAF 108 तेजस मार्क-2 विमानों की भी योजना बना रहा है, जो GE के अधिक शक्तिशाली F-414 इंजन (98 किलोन्यूटन थ्रस्ट) से लैस होंगे.
HAL और GE अब GE-F414 इंजन के भारत में को-प्रोडक्शन के लिए अंतिम तकनीकी और व्यावसायिक वार्ता कर रहे हैं. इस प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत $1.5 बिलियन है, जिसमें 80% तकनीकी हस्तांतरण शामिल होगा. IAF के पास फिलहाल केवल 30 फाइटर स्क्वाड्रन हैं, जबकि उसे 42.5 स्क्वाड्रन की जरूरत है ताकि चीन और पाकिस्तान के दोहरे खतरे का सामना किया जा सके. आने वाले वर्षों में तेजस मार्क-1A और मार्क-2 वेरिएंट्स की डिलीवरी से एआईएफ की युद्धक क्षमता में बड़ा सुधार होने की उम्मीद है.
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