तेल क्षेत्र (विनियमन और विकास) अधिनियम, 1948 में संशोधनों को राज्यसभा (Rajya Sabha) ने मंजूरी दे दी है. जिसे केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) ने “भविष्य की दिशा में ऐतिहासिक पहल” बताया. यह कदम भारत के ऊर्जा क्षेत्र में सुधार और निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से उठाया गया है. मंत्री पुरी ने कहा, ये बदलाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नेतृत्व में ऊर्जा क्षेत्र को अधिक स्थिरता और विकास की ओर ले जाने के लिए महत्वपूर्ण हैं.
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने आगे बताया, संशोधन में नीति स्थिरता, अंतरराष्ट्रीय विवाद समाधान, और विस्तारित पट्टे की अवधि जैसे प्रावधान शामिल हैं, जो इस क्षेत्र में व्यापार को सुगम बनाएंगे. मंत्री ने आगे बताया कि मौजूदा अधिनियम में ‘खनन’, ‘उत्खनन’ जैसे पारंपरिक शब्दावली को हटाया जा रहा है, क्योंकि तेल और प्राकृतिक गैस की खोज और उत्पादन प्रक्रियाएं अधिक तकनीकी हो चुकी हैं. अब इनकी जगह ‘पेट्रोलियम पट्टे’ जैसे समसामयिक शब्दों का उपयोग किया जाएगा. संशोधन का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि पर्यावरण संरक्षण और हरित ऊर्जा परियोजनाओं के लिए नियम बनाने में सरकार को सशक्त किया जा रहा है.
नए ऑपरेटरों के लिए सरल होगा परिचालन
इससे जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने के साथ-साथ ऊर्जा क्षेत्र में पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं को अपनाने में मदद मिलेगी. केंद्रीय मंत्री ने कहा, नए नियम छोटे और नए ऑपरेटरों के लिए परिचालन को सरल बनाएंगे. अक्सर, ऐसे ऑपरेटर उच्च बुनियादी ढांचे की लागत के कारण चुनौतियों का सामना करते हैं. संशोधन के तहत, सरकार दो या अधिक पट्टेदारों को साझा बुनियादी ढांचे का उपयोग करने में सक्षम बनाने के लिए नियम बना सकेगी. इसके अलावा, संशोधन में विवाद समाधान और अपील के लिए न्यायनिर्णयन प्राधिकरण की स्थापना का प्रावधान किया गया है, जो इस क्षेत्र में कानूनी जटिलताओं को कम करेगा.