Economic Stability Monetary Policy: इस्राइल-हमास के बीच संघर्ष के वजह से महंगाई पर भी जोखिम बना हुआ है. उच्च ब्याज दरों से फिलहाल राहत मिलने की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है. वहीं, MPC (Monetary Policy Committee) ने इस महीने की शुरुआत में हुई अपनी बैठक में खुदरा महंगाई को नियंत्रण में रखने के लिए लगातार चौथी बार प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर रखने का निर्णय लिया.
बता दें कि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने पांच अन्य सदस्यों के साथ रेपो दर को 6.5 प्रतिशत बनाए रखने के लिए मतदान करते हुए कहा कि ”मौद्रिक नीति को अतिरिक्त रूप से अलर्ट रहना होगा और अगर आवश्यक हो तो काम करने के लिए भी तैयार रहना होगा. हमारा उद्देश्य खुदरा महंगाई को 4 प्रतिशत पर लाना है.
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अमेरिकी बॉन्ड के रिटर्न में हुई बढ़ोत्तरी
आरबीआई गवर्नर ने बताया कि आपूर्ति पक्ष के बड़े और व्यापक झटके अपने साथ महंगाई का दबाव और मौद्रिक नीति की विश्वसनीयता को संभावित नुकसान जैसे खतरे लेकर आते हैं. वहीं, पश्चिम एशिया में संकट के प्रभाव की ओर इशारा करते हुए आरबीआई गवर्नर ने कहा कि पिछले एक पखवाड़े में अमेरिकी बॉन्ड के रिटर्न में बढ़ोत्तरी हुई है. इसका अन्य अर्थव्यवस्थाओं पर व्यापक प्रभाव पड़ता है. साथ ही क्रूड की कीमतें भी बढ़ी हैं. ये कुछ अनिश्चितताएं हैं, लेकिन वे कुछ मामलों में और ज्यादा स्पष्ट हुई हैं. हालांकि दुनिया में जो कुछ भी हो रहा है उसका प्रभाव हम पर भी पड़ता है, इसमें कोई संदेह नहीं है.
दूसरी तिमाही से मिलेगी वृद्धि सकारात्मक को गति
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि ‘यदि हम महंगाई पर स्थायी रूप से काबू पा लेते हैं, तो हम मजबूत और स्थिर वृद्धि की लंबी पारी के लिए जमीन तैयार कर लेंगे. हमारा अनुमान है कि दूसरी तिमाही से वृद्धि सकारात्मक गति पकड़ लेगी.”
भारत वैश्विक वृद्धि का नया इंजन बनने को तैयार
गवर्नर दास ने कहा कि हमारे आर्थिक बुनियादी सिद्धांत व वित्तीय क्षेत्र दोनों प्रबल हैं. भारत वैश्विक बढ़ोत्तरी का नया इंजन बनने को तैयार है. चालू वित्त वर्ष में हमारी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने की संभावना है. हालांकि, वैश्विक जीडीपी में महंगाई, धीमी वृद्धि और वित्तीय स्थिरता के मोर्चे पर जोखिम है.