RBI MPC Meeting : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अक्टूबर मौद्रिक समीक्षा (MPC) बैठक में रेपो रेट को यथावत रहा है. आरबीआई गवर्नर और एमपीसी चेयरमैन शक्तिकान्त दास ने आज एमपीसी के फैसलों को ऐलान करते हुए इसकी जानकारी दी. आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक सोमवार, 07 अक्टूबर से शुरू हुई थी. आरबीआई ने फरवरी 2023 से ही रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है.
यह लगातार दसवीं बार है. बता दें कि इस महीने की शुरुआत में सरकार ने केंद्रीय बैंक की दर-निर्धारण समिति- मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का पुनर्गठन किया था. इसमें तीन नए नियुक्त बाहरी सदस्यों के साथ पुनर्गठित समिति ने इस बार एमपीसी बैठक की है.
क्या पड़ेगा असर (Repo Rate)
रेपो रेट में कटौती न करने से कर्ज सस्ता नहीं होगा. इसके परिणाम में लोन लेने वालों की EMI नहीं घटेगी. लेकिन कर्ज महंगा न होने से ईएमआई में भी बढ़ोतरी नहीं होगी. हालाँकि एमपीसी ने मौद्रिक नीति के रुख को विकास पर फोकस करने के लिए ‘withdrawal of accommodation’ से बदलकर ‘तटस्थ’ (Neutral) कर दिया है.
इस साल 7.2% ग्रोथ रेट का अनुमान
जीडीपी ग्रोथ रेट के बारे में जानकारी देते हुए शक्तिकांत दास ने बताया कि मौद्रिक नीति समिति ने वित्त वर्ष 2025 में जीडीपी ग्रोथ रेट 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. आरबीआई गवर्नर ने कहा कि घरेलू ग्रोथ लगातार अपना मोमेंटम बनाए हुए है.
पेश किया GDP का अहम डेटा
- पहली तिमाही में रियल जीडीपी में 7 प्रतिशत की वृद्धि हुई
- वित्त वर्ष 2025 के लिए GDP 2 प्रतिशत रहने का अनुमान है. वहीं वित्त वर्ष 2025 के लिए मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान
- आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने संकेत दिया है कि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मंदी के संकेत दिख रहे हैं.
- सीपीआई मुद्रास्फीति दूसरी तिमाही में 1 प्रतिशत रहने का अनुमान
- तीसरी तिमाही में सीपीआई मुद्रास्फीति 8 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना
- चौथी तिमाही में सीपीआई मुद्रास्फीति 2 प्रतिशत रहने का अनुमान है
- वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में सीपीआई मुद्रास्फीति 3 प्रतिशत रहने का अनुमान है
महंगाई पर लगा लगाम
शक्तिकांत दास ने कहा कि खरीफ के अच्छे रकबे और अच्छी वर्षा के कारण खाद्य महंगाई का दबाव कम हुआ है. उन्होंने कह कि ऐसा लगता है कि प्रमुख महंगाई दर निचले स्तर पर पहुंच गई है. दास ने कहा कि घरेलू ग्रोथ ने अपनी गति बनाए रखी है, और हमारी पिछली बैठक के बाद से ग्लोबल इकॉनामी लचीली बनी हुई है. हालांकि, भू-राजनीतिक संघर्षों, फाइनेंशियल मार्केट में उतार-चढ़ाव और बढ़े हुए पब्लिक डेट के चलते निगेटिव जोखिम बने हुए हैं. अच्छी बात यह है कि ग्लोबल ट्रेड में सुधार के संकेत दिख रहे हैं.
ये भी पढ़ें :- प्रयागराज महाकुंभः बड़ा फैसला, इन पुलिसकर्मियों की नहीं लगेगी ड्यूटी