अदालती आदेशों का पालन नहीं करा रही SEBI !

Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Business News: राजस्थान राज्य की एक जिला अदालत के आदेशों के बावजूद एक सूचीबद्ध कंपनी अपनी शेयर होल्डिंग में बदलाव की कोशिश कर रही है. कंपनी के निदेशकों ने गुरुवार को EGM बुलाई है. आशंका जताई जा रही है इसमें कंपनी की मूल संरचना और शेयर होल्डिंग में बदलाव किया जा सकता है. पीड़ित ने इस मामले में आदेशों का पालन कराने के लिए अधिकृत SEBI से अदालती आदेश अपनी अधिकृत वेबसाइट पर अपलोड करने की गुहार भी लगाई. मगर SEBI ने अभी तक भी अदालती आदेशों वेबसाइट पर अपलोड करने की जहमत नहीं उठाई है.

जानिए पूरा मामला

दरअसल, Cupid Ltd नामक सूचीबद्ध कंपनी के निदेशकों ओम प्रकाश गर्ग और वीना गर्ग ने कंपनी में अपनी 44.84 फीसदी शेयर होल्डिंग से संबंधित 59,81,036 इक्विटी शेयर Vikas Lifecare Ltd को बेचने के लिए करार किया था. जिसमें आरोप है कि यह दोनों इस समझौते का पालन करने में आनाकानी करते रहे और Vikas Lifecare के पक्ष में शेयर स्थानांतरित करने से बचने को कोशिश करने लगे.

अदालत के पास पहुंचा मामला

मामले में धोखाधड़ी की आशंका हुई तो Vikas Lifecare Limited ने Cupid Ltd के खिलाफ अलवर की जिला अदालत में मुकदमा दायर कर दिया. इसके बाद अदालत ने ओम प्रकाश गर्ग और वीना गर्ग को समन जारी कर जवाब तलब किया. सुनवाई के दौरान इन्होंने अदालत को बताया कि वह अपनी शेयर होल्डिंग एक अन्य कंपनी को स्थानांतरित करने का सौदा कर चुके हैं. मामले के तथ्यों को देखते हुए अदालत ने 08 दिसंबर 2023 को उन्हें आदेश दिया कि Cupid Ltd के शेयरों के स्थानांतरण की प्रक्रिया में किसी अन्य तीसरे पक्ष को शामिल नहीं किया जाए.

नहीं रोकी स्थानांतरण की प्रक्रिया!

इस मामले में आरोप है कि Cupid Ltd ने शेयर होल्डिंग स्थानांतरित करने के लिए Columbia Petrocom Pvt Ltd और आदित्य कुमार हलवासिया के साथ हुए कथित करार को अंजाम देने की प्रक्रिया को नहीं रोका. इस मामले में वादी Vikas Lifecare ने आशंका जताई कि क्यूपिड लिमिटेड न्यायालय के 08 दिसंबर के आदेश का उल्लंघन कर रही है. क्योंकि कंपनी द्वारा 22 लाख शेयरों को अन्य एफपीआई/एफआईआई के पक्ष में जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी.

इतना ही नहीं करीब 33 लाख शेयरों के मामले में भी ऐसा ही करने को प्रक्रिया को भी शुरू कर दिया गया था. Vikas Lifecare ने आशंका जाहिर की कि कोलंबिया पेट्रोकॉम और आदित्य कुमार हलवासिया ना केवल उनके साथ बल्कि जनता के साथ भी बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की कोशिश कर रहे थे. जिसमें ओम प्रकाश और वीना गर्ग की भी मिलीभगत नजर आ रही थी.

कोर्ट ने दिखाया कड़ा रुख

मामला जब अदालत के संज्ञान में लाया गया तो अदालत ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया. 30 मार्च 2024 को अलवर के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने इस मामले में कोलंबिया पेट्रोकॉम और आदित्य कुमार हलवासिया को भी प्रतिवादी के तौर पर मुक़दमे में शामिल करने का आदेश जारी कर दिया. इसके साथ ही Cupid Ltd और अन्य प्रति वादियों को शेयरों की संरचना में किसी भी तरह का बदलाव करने और उन्हें किसी तृतीय पक्ष को देने या स्थानांतरित करने से रोक ने का आदेश भी पारित कर दिया.

बैंक गारंटी जमा कराने का भी आदेश

अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि Cupid Ltd and की वित्तीय संरचना या शेयरों के संबंध में किसी भी तरह का सौदा करने से पहले अदालत में 149.52 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी जमा करानी होगी.

SEBI को भी दिया आदेश

इतना ही नहीं अदालत ने अपने आदेश में Securities Exchange Board of India (SEBI), Central Depository Service India Ltd. (CSDL) और National Securities Depository Limited (NSDL) दिल्ली को इस आदेश का तत्काल पालन करने के लिए जरूरी कदम उठाने का भी आदेश दिया.

आदेशों की अवहेलना की आशंका

आरोप है कि क्यूपिड लिमिटेड के निदेशकों ने इक्विटी शेयरों को विभाजित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी. इसके लिए 04 अप्रैल को कंपनी ने EGM बुलाने का फैसला भी कर लिया है. आशंका जताई जा रही है कि इस दौरान जिला अदालत के 08 दिसंबर 2023 और 30 मार्च 2024 के आदेशों का उल्लंघन किया जा सकता है.

SEBI से लगाई गुहार

Vikas Lifecare ने इस मामले में SEBI चेयरमेन माधबी पुरी बुच के अलावा SEBI के पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी कुमार भाटिया को ईमेल से अदालत के आदेश की जानकारी देते हुए, आदेशों का पालन सुनिश्चित कराने की गुहार लगाई है. जिसके लिए SEBI की अधिकृत वेबसाइट पर इस संबंध में पारित आदेशों को अपलोड करने की मांग की गई है, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं किया गया है.

जानकारों की राय

जानकारों का मानना है कि SEBI की अधिकृत वेबसाइट पर आदेश अपलोड होने की स्थिति में आम जनता को उसकी जानकारी आसानी से मिल जाती है. इस स्थिति में कोई भी कंपनी अदालती आदेशों व किसी वाद की जानकारी छिपाकर धोखाधड़ी को अंजाम नहीं दे सकती.

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