शेयर बाजार भारतीयों की मोटी कमाई का जरिया बन गया है. ये और कोई नहीं आंकड़े ही साबित कर रहे हैं कि पिछले 10 सालों में भारतीय परिवारों ने शेयर बाजार से 1 ट्रिलियन डॉलर की कमाई की है. इससे आप शेयर बाजार के रिटर्न्स का अंदाजा लगा सकते हैं. अगर आपने अब तक शेयर मार्केट में निवेश नहीं किया होगा तो आपको ये लग रहा होगा कि आपने काफी कुछ मिस कर दिया है. क्या है पूरी रिपोर्ट चलिए बताते हैं.
3% का निवेश और करोड़ों की कमाई
फाइनेंशियल सर्विस देने वाली कंपनी Morgan Stanley ने एक अनुमान के तहत बताया, पिछले 10 सालों में लोगों ने अपनी बैलेंस शीट का सिर्फ 3% हिस्सा शेयर बाजार में निवेश कर करीब 1 ट्रिलियन डॉलर की कमाई की है।.ग्लोबल इनवेस्टमेंट बैंकिंग फर्म का अनुमान है कि पिछले दशक में भारतीय परिवारों ने करीब 8.5 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति जोड़ी है, जिसमें से लगभग 11% इक्विटी से आया है. यदि फाउंडर्स को भी शामिल कर लिया जाए तो भारतीय परिवारों ने इस दौरान कुल 9.7 ट्रिलियन डॉलर कमाए हैं. इससे कमाई में इक्विटी का योगदान 20% यानी लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ गया है.
भारतीय परिवार अब भी इक्विटी में कर रहे हैं कम निवेश- रिधम देसाई
Morgan Stanley के रिधम देसाई ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘हमारा मानना है कि भारतीय परिवार अब भी इक्विटी में कम निवेश कर रहे हैं. फाउंडर्स की इक्विटी होल्डिंग्स को छोड़कर घरेलू बैलेंस शीट का केवल 3% इक्विटी में है. हमें लगता है कि आने वाले वर्षों में यह संख्या दो अंकों तक बढ़ सकती है.’ पिछले 10 सालों में भारत में लिस्टेड सभी कंपनियों का मार्केट कैप मार्च 2014 में $1.2 ट्रिलियन से बढ़कर $5.4 ट्रिलियन हो गया है. इससे यह ग्लोबल लेवल पर 5वां सबसे बड़ा बाजार बन गया है.
इक्विटी में बढ़ सकता है हिस्सा
ग्लोबल मार्केट कैप में भारत का हिस्सा 2013 में 1.6 प्रतिशत के निचले स्तर से नवंबर 2024 में 4.3 प्रतिशत तक बढ़ गया, जिससे यह उभरते बाजारों में दूसरा सबसे बड़ा बाजार बन गया. देसाई ने कहा, परिवार अन्य एसेट क्लास की तुलना में इक्विटी में कम निवेश करते हैं. शेयरों पर घरेलू निवेशक लंबे समय तक बने रह सकते हैं जैसा कि अमेरिका में 1980 से था. दो दशकों में अमेरिकी इक्विटी में घरेलू फ्लो बढ़ गया था. घरेलू बैलेंस शीट में बदलाव हो रहा है और इसलिए आने वाले वर्षों में इक्विटी का हिस्सा बढ़ सकता है.
उन्होंने आगे कहा, घरेलू जोखिम पूंजी का इतना बढ़ता पूल भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक ताकतों जैसे दरों में उतार-चढ़ाव, आर्थिक परिणामों और पूंजी प्रवाह के प्रति कम संवेदनशील बनाता है. यह 2013 में टेपर टैंट्रम या 2008 में वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भारतीय शेयरों और अर्थव्यवस्था के व्यवहार के बिल्कुल विपरीत है. यह भारतीय बाजार को ज्यादा टिकाऊ बनाता है. इक्विटी अब भी बैलेंस शीट का एक छोटा हिस्सा है. लेकिन, पिछले दशक में इक्विटी बचत में तेजी आई है और आगे चलकर बैलेंस शीट में अधिक स्थान लेने की संभावना है.