बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में बताया गया कि भारत में आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए आने वाली यात्राओं में जबरदस्त वृद्धि हुई है, जिसका मुख्य कारण महाकुंभ 2025 है. वीज़ा प्रोसेसिंग प्लेटफॉर्म एटलीस के अनुसार, आध्यात्मिक उद्देश्यों के लिए देश में आने वाली यात्राओं में 21.4% की वृद्धि देखी है. आवेदनों में यह वृद्धि मुख्य रूप से ब्रिटेन और अमेरिका से आने वाले यात्रियों के कारण हुई है, जो भारत की आध्यात्मिक पेशकशों में वैश्विक रुचि को रेखांकित करता है.
युवा पीढ़ी है अग्रणी
आंकड़ों से पता चला है कि सभी आध्यात्मिक यात्रा वीजा आवेदनों में से करीब 48% आवेदन महाकुंभ जैसे प्रमुख आयोजनों और तीर्थयात्राओं से जुड़े हैं. आंकड़ों के मुताबिक, समूह में आने वाली यात्रा के आवेदनों में 35% की वृद्धि हुई है, जो सामुदायिक आध्यात्मिक अनुभवों के प्रति बढ़ती प्राथमिकता को दर्शाता है. वाराणसी, ऋषिकेश और हरिद्वार की पवित्र त्रिमूर्ति अभी भी गंतव्य स्थलों की पसंद पर हावी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि आध्यात्मिक यात्राएं पहले मुख्य रूप से पुरानी पीढ़ियों से जुड़ी हुई थीं, लेकिन अब इस प्रवृत्ति में युवा पीढ़ी अग्रणी है, जिसमें 66% महिलाएं हैं – जो महिलाओं के नेतृत्व में आध्यात्मिक अन्वेषण की ओर व्यापक कदम का संकेत है.
पिछले दशक में आध्यात्मिक पर्यटन में वैश्विक रुचि लगातार बढ़ी है, जिससे भारत अपनी समृद्ध आध्यात्मिक विरासत और विविध सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के साथ अग्रणी स्थान पर आ गया है. एटलीज़ के संस्थापक और सीईओ मोहक नाहटा ने कहा, “भारत की आध्यात्मिक विरासत ने हमेशा वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है, लेकिन अब हम देख रहे हैं कि रोमांच और आत्म-खोज दोनों चाहने वाले यात्री इन पवित्र यात्राओं को अपना रहे हैं.” महाकुंभ और इसी तरह के अन्य त्यौहार अब केवल पारंपरिक तीर्थयात्रियों के लिए नहीं रह गए हैं,
वे सार्थक अनुभवों की तलाश करने वाले व्यापक दर्शकों को आकर्षित कर रहे हैं. विश्व के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक महाकुंभ इस समय चल रहा है और इसमें 40 करोड़ से अधिक तीर्थयात्रियों के आने की संभावना है. उत्तर प्रदेश सरकार के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, 9.24 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने त्रिवेणी संगम में पवित्र स्नान (अमृत स्नान) किया है. इस बीच मंगलवार (21 जनवरी) को करीब 43.18 लाख श्रद्धालु महाकुंभ नगरी पहुंचे.