FPI की बिकवाली को बेअसर कर रहे घरेलू निवेशक, जानें बाजार पर क्या होगा असर

Raginee Rai
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Stock Market: एक समय था जब घरेलू भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) की दशा और दिशा विदेशी निवेशक तय करते हैं. अगर विदेशी निवेशकों ने खरीदारी की तो शेयर बाजार में तेजी दर्ज की जाती थी और यदि बिकवाली कर दी तो बाजार औंधे मुंह गिर जाता था. लेकिन अब ये बातें पुरानी हो गई है. अब भारतीय बाजार में विदेशी नहीं बल्कि घरेलू निवेशक अहम भूमिका निभा रहे हैं.

शायद इसलिए ही अब उनके बिकवाली का घरेलू बाजार पर ज्यादा असर नहीं हो रहा है. ताजा आंकड़े से ऐसा ही प्रतीत हो रहा है. बता दें कि इक्विटी बाजारों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) की भारी बिकवाली के असर को घरेलू फंड और खुदरा इन्‍वेस्‍टर बेअसर कर रहे हैं.

स्‍टॉक मार्केट के जानकारों के मुताबिक, इसका घरेलू बाजार पर अच्छा असर देखने को मिलेगा. बाजार में जो पहले बड़ी गिरावट आती थी वो आगे शायद देखने को नहीं मिले. इससे छोटे निवेशकों को नुकसान की संभावना कम होगी. भारतीय शेयर बाजार अपने दायरे में कारोबार करेगा. अब वह विदेशी निवेशकों के भरोसे नहीं चलेगा.

विदेशी निवेशकों की बिकवाली का असर नहीं

अप्रैल में FPI ने अबतक भारतीय पूंजी बाजार में 6,304 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची है. इस दौरान नकदी बाजार में इक्विटी बिक्री 20,525 करोड़ रुपये रही. डेट मार्केट में भी नए सिरे से बिकवाली का ट्रेंड है. जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार के मुताबिक, अप्रैल में डेट बिक्री 10,640 करोड़ रुपये रही. उन्होंने कहा कि अमेरिका में बॉन्ड पर ब्याज दर बढ़ने से इक्विटी और डेट दोनों में FPI एक बार फिर बिकवाल हो गये हैं. दस साल के बॉन्ड पर ब्याज अब लगभग 4.7 प्रतिशत है जो विदेशी निवेशकों के लिए काफी आकर्षक है.

इसलिए घरेलू बाजार से पैसा निकाल रहे FPI 

विजयकुमार ने कहा कि नवीनतम आंकड़ों में अमेरिका में गैर-खाद्य खुदरा महंगाई बढ़कर 3.7 फीसदी हो गई, जबकि विशेषज्ञ 3.4 प्रतिशत की उम्मीद कर रहे थे. इसका मतलब है कि फेड द्वारा दरों में जल्द कटौती की संभावनाएं कम होती जा रही हैं. इससे बॉन्ड पर ब्याज ऊंची बनी रहेगी, जिससे इक्विटी और डेट दोनों में FPI बिकवाल रहेंगे.

मुख्य निवेश रणनीतिकार ने कहा कि सकारात्मक कारक यह है कि इक्विटी बाजारों में सभी एफपीआई की बिक्री के प्रभाव को घरेलू संस्थागत निवेशक, धनाढ्य व्यक्तिगत निवेशक और खुदरा निवेशक कम कर रहे हैं. यही एकमात्र कारक है जो एफपीआई की बिकवाली पर हावी हो सकता है. ‘

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