RBI का सख्त कदम, तीन NBFC के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट रद्द, कई ने सरेंडर किए लाइसेंस

Raginee Rai
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Action of RBI: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इन दिनों एक्‍शन मोड में है. पेटीएम पेमेंट्स बैंक पर कार्रवाई के बाद अब आरबीआई ने तीन गैर वित्‍तीय बैंकिंग कम्‍पनियों यानी (NBFC) के रजिस्‍ट्रेशन सर्टिफिकेट को रद्द कर दिया है. शनिवार को रिजर्व बैंक की सख्ती की मार भारथु इन्वेस्टमेंट एंड फाइनेंस इंडिया, कॉक्स एंड किंग्स फाइनेंशियल सर्विस और पीएसपीआर एंटरप्राइजेज पर पड़ी है. साथ ही नौ एनबीएफसी और हाउसिंग कंपनी ने अपने लाइसेंस सरेंडर कर दिए हैं.

इन एनबीएफसी और हाउसिंग कंपनी ने लाइसेंस किया सरेंडर

आरबीआई ने एक नोटिफिकेशन में कहा कि  नौ एनबीएफसी और एक हाउसिंग फाइनेंस कंपनी ने अपने लाइसेंस सरेंडर कर दिए हैं. इन कंपनियों में रिलायंस होम फाइनेंस (Reliance Home Finance) लिमिटेड भी शामिल है. कंपनी ने हाउसिंग फाइनेंस इंस्टीट्यूशन बिजनेस से बाहर निकलने के बाद लाइसेंस वापस करने का निर्णय लिया है.

सरेंडर करने वाली 9 NBFC में स्माइल माइक्रोफाइनेंस, जेएफसी इम्पेक्स, कावेरी ट्रेडफिन और गिन्नी ट्रेडफिन कारोबार से बाहर हो गए हैं. इसी तरह जेजी ट्रेडिंग एंड इनवेस्टमेंट, एसके फिनसर्व, बोहरा एंड कंपनी, माइक्रोफर्म कैपिटल और महिको ग्रो फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड ने अपने लाइसेंस सरेंडर कर दिए. इन सभी कंपनियों ने अलग-अलग वजह बताए हैं.

रिजर्व बैंक ने कही थी ये बात

रिजर्व बैंक के अनुसार, इन एनबीएफसी में नियमों का उचित पालन नहीं हो रहा था. यह बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. आरबीआई ने कहा कि एनबीएफसी कुछ खास इकोनॉमिक उद्देश्यों को पूरा करने के लिए बनाई जाती हैं. एनबीएफसी के बैंक लाइसेंसे मांगना अस्वाभाविक है.

रिजर्व बैंक के डिप्‍टी गवर्नर एम राजेश्‍वर राव ने कहा था कि आरबीआई अधिक संख्या में NBFC को जमा स्वीकार करने की अनुमति देने के पक्ष में नहीं है. उन्‍होंने बताया था कि यही वजह है कि एक भी नया लाइसेंस नहीं दिया गया है. साथ ही जमा स्वीकार करने वाली NBFC की संख्या 200 से कम होकर अब केवल 26 रह गई है.

फाइनेंशियल सेक्टर में आ रहे रेगुलेटरी बदलाव

भारतीय रिजर्व बैंक के इस निर्णय से साफ पता चल रहा है कि फाइनेंशियल सेक्टर में रेगुलेटरी बदलाव किए जा रहे हैं. केंद्रीय बैंक लूपहोल बर्दाश्त करने के मूड में बिलकुल भी नहीं है. इसी कारण कई कंपनियों ने लाइसेंस सरेंडर कर दिए हैं.रिजर्व बैंक के ये सख्‍त कदम रेगुलेटरी नियमों का पालन जिम्मेदारी से करने और फाइनेंस कंपनियों को जवाबदेह बनाकर फाइनेंशियल सिस्टम को स्वस्थ और स्थिर बनाए रखने के लिए उठाया गया हैं.

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