Auto के बाद अब Pharma सेक्टर पर ट्रंप की नजर, भारतीय दवा कंपनियों पर क्या होगा असर?

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Trump Tariff on Pharma Sector: अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड के टैरिफ ऐलान से दुनियाभर के कई देशों की नींद उड़ी हुई है. हाल ही में अमेरिका राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप ने ऐलान किया है कि वे अमेरिका में विदेशी कारों और उनके पुर्जों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे. वहीं अब राष्‍ट्रपति ट्रंप फार्मा प्रोडक्‍ट्स के आयात पर भी टैरिफ लगाने वाले हैं. शुक्रवार को राष्‍ट्रपति ट्रंप ने कहा कि वे जल्‍द ही फार्मास्‍युटिकल बिजनेस को टारगेट करने वाले टैरिफ की घोषणा करेंगे. हालांकि उन्‍होंने इसके समय या दरों के बारे में विस्‍तृत जानकारी साझा नहीं की है.

मीडिया से बातचीत में राष्‍ट्रपति ने यह भी कहा कि वे अमेरिकी टैरिफ से बचने के इच्छुक देशों के साथ सौदे पर वार्त करने के लिए तैयार हैं, लेकिन ऐसे समझौते उनके प्रशासन द्वारा 2 अप्रैल को रेसिप्रोकल टैरिफ के ऐलान के बाद ही हो सकते हैं. डोनाल्‍ड ट्रंप ने कहा कि ब्रिटेन समेत कई देशों ने संभावित सौदों पर चर्चा करने के लिए अमेरिका से संपर्क किया है. हाल ही में भारत के वाणिज्‍य मंत्री पीयूष गोयल ने भी कहा था कि भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते को लेकर जारी बातचीत बेहतर ढंग से आगे बढ़ रही है.

10 में से 4 भारतीय दवाएं लिखते हैं अमेरिकी डॉक्टर

राष्‍ट्रपति ट्रंप के फार्मा प्रोडक्ट्स पर टैरिफ लगाने के वादे से भारतीय दवा कंपनियों पर क्या असर होगा, यह एक बड़ा सवाल है. वर्तमान में अमेरिका भारतीय दवाओं पर कोई शुल्क नहीं लगाता है. अमेरिका में दवा आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा भारतीय दवा कंपनियां करती हैं. साल 2022 में यूएस में डॉक्टर्स द्वारा लिखे गए पर्चों में 40 प्रतिशत यानी दस में से चार के लिए दवाओं की सप्लाई भारतीय कंपनियों ने की थी.

इंडस्ट्री के सूत्रों के मुताबिक, कुल मिलाकर भारतीय कंपनियों की दवाओं से 2022 में अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को 219 अरब डॉलर की बचत हुई और 2013 से 2022 के बीच कुल 1,300 अरब डॉलर की बचत हुई. वर्तमान में भारत का दवा उद्योग अमेरिकी मार्केट पर काफी हद तक निर्भर है और इसके कुल निर्यात में अमेरिका का हिस्सा लगभग एक-तिहाई है.

अमेरिका में बढ़ जाएगी महंगाई

शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी के पार्टनर अरविंद शर्मा का कहना है कि टैरिफ लगाने से अमेरिका अनजाने में अपनी घरेलू हेल्थकेयर लागत में इजाफा कर सकता है. इससे अमेरिका के उपभोक्ताओं पर बोझ पड़ेगा और हेल्थकेयर तक उनकी पहुंच दुर्लभ हो जाएगी. अमेरिका अपनी घरेलू मांग को पूरा करने के लिए दवा उत्पादों का शुद्ध आयातक रहा है. लिमिटेड सप्लाई के वजह से फार्मास्यूटिकल्स पर 25 प्रतिशत यानी उससे अधिक टैरिफ बेहद मुश्किल है.

भारत के दवा कंपनियों को हो सकता है फायदा

जेपी मॉर्गन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप फार्मा प्रोडक्ट्स पर टैरिफ लगाते हैं, तो इससे भारतीय कंपनियों को फायदा हो सकता है. इसकी वजह है भारतीय दवा कंपनियों की बेहतर कॉस्ट कॉम्पिटिटिवनेस. इसके चलते भारतीय कंपनियां अमेरिकी बाजार में अपने ग्लोबल कॉम्पिटिटर्स के मुकाबले अधिक बाजार हिस्सेदारी हासिल कर सकती हैं.

ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक, यदि 10 प्रतिशत टैरिफ भी लगा तो इसका बड़ा हिस्सा ग्राहकों को ट्रांसफर कर दिया जाएगा, क्योंकि दवाइयों की रेगुलर डिमांड बनी रहेगी. जेपी मॉर्गन के मुताबिक, अमेरिका में जेनरिक दवाएं बेचने वाली इजराइल और स्विट्जरलैंड की कंपनियां भारतीय कंपनियों की तुलना में कम प्रोफिट मार्जिन पर काम करती हैं, इसलिए टैरिफ से उन पर ज्यादा गंभीर असर पड़ेगा.

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