Union Budget 2024: नई टैक्स स्लैब में हुए क्या-क्या बदलाव? जानिए पूरी डिटेल

Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Union Budget 2024: आज पेश हुए बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नौकरीपेशा लोगों के लिए न्यू टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ा दिया है. सरकार ने इसको बढ़ाते हुए 50,000 से 75,000 रुपये कर दिया है. इससे उन लोगों को फायदा होगा जो नौकरी करते हैं या व्यापार करते हैं. इसी के साथ वित्त मंत्री ने सभी फाइनेंशियल और नॉन-फाइनेंशियल एसेट्स पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स को बढ़ा दिया है.

वित्त मंत्री के भाषण के दौरान बताया कि अब LTCG 12.5% ​​की दर से कर लगेगा. इसके अतिरिक्त, पूंजीगत लाभ के लिए छूट की सीमा 1.25 लाख रुपये प्रति वर्ष निर्धारित की जाएगी. वहीं, STCG पर 20 फीसदी की दर से टैक्स लगेगा.

इसी के साथ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर अधिनियम 1961 की बेहतर समीक्षा का ऐलान भी किया. वित्त मंत्रालय ने कहा कि इससे विवादों और मुकदमेबाजी में कमी आएगी, उन्होंने कहा कि इसे 6 महीने में पूरा करने का प्रस्ताव है.

जानिए नया टैक्स स्लैब

0-3 लाख रुपये जीरो
3-7 लाख रुपये 5%
7-10 लाख रुपये 10%
10-12 लाख रुपये 15%
12-15 लाख रुपये 20%
15 लाख रुपये से ऊपर 30%

 

क्या होगा टैक्सपेयर को फायदा?

केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा नए टैक्स स्लैब के ऐलान के बाद नई कर व्यवस्था चुनने वाले करदाताओं को 17,500 रुपये तक की बचत होगी. सरकार ने न्यू टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन को लिमिट 50,000 रुपये से बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दिया है. इसी के साथ पारिवारिक पेंशनभोगियों के लिए, स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा वर्तमान में 15,000 रुपये से बढ़ाकर 25,000 रुपये कर दी गई है.

जानिए क्या बोले एक्सपर्ट्स

न्यू टैक्स स्लैब को लेकर चार्टेड अकाउंटेंट गौरव गर्ग ने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स के मोर्चे पर बड़ी राहत दी. लेकिन, LTCG और STCG टैक्स बढ़ाकर निराशा कर दिया है. कुल मिलाकर, सरकार ने एक हाथ से दिया तो दूसरे हाथ से ले लिया.

कब से हुई न्यू टैक्स स्लैब की शुरुआत

केंद्र की मोदी सरकार ने नई कर व्यवस्था को वित्त वर्ष 2020-21 (1 अप्रैल, 2020 से) से लागू किया है. हालांकि, जब इस कर व्यवस्था को लागू किया गया था, उस वक्त से ये व्यवस्था वैकल्पिक थी. इसका सीधा मतलब है कि करदाता को विशेष रूप से इसको चुनने का विकल्प था.

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