अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के रेसिप्रोकल टैरिफ का भारतीय ऑटोमोटिव निर्माताओं पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा. विश्लेषकों का कहना है कि ये कंपनियां अपने उत्पाद मुख्य रूप से तेजी से बढ़ते घरेलू बाजार में बेचती हैं, इसलिए डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ का असर ऑटोमोटिव निर्माताओं पर कम रहेगा. एसएंडपी ग्लोबल मोबिलिटी इंडिया एंड आसियान के निदेशक पुनीत गुप्ता ने कहा, भारी स्थानीयकरण और बिक्री तथा न्यूनतम अमेरिकी निर्यात के कारण OEM (मूल उपकरण निर्माता) काफी हद तक सुरक्षित हैं.
अमेरिका का पसंदीदा साझेदार भी है भारत
पुनीत गुप्ता ने आगे कहा, भारत अमेरिका का पसंदीदा साझेदार भी है और अमेरिकी वाहन निर्माताओं के लिए ऑटो कंपोनेंट को लेकर चीन के अलावा एकमात्र विकल्प है. रॉयल एनफील्ड, आयशर मोटर्स लिमिटेड की बाइक बनाने वाली शाखा के रूप में अपवाद हो सकती है, क्योंकि अमेरिका इसकी 650 सीसी मोटरसाइकिलों के लिए एक प्रमुख निर्यात बाजार है. उच्च टैरिफ के कारण कुछ ऑटो कंपोनेंट निर्माता भी प्रभावित हो सकते हैं.
डोनाल्ड ट्रंप ने बीते गुरुवार को अपने प्रशासन को कई व्यापारिक भागीदारों पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने पर विचार करने का आदेश दिया था. मॉर्गन स्टेनली की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ बढ़ोतरी का प्रत्यक्ष प्रभाव मैनेज किया जा सकेगा, लेकिन, अनिश्चितता के माध्यम से व्यापार विश्वास पर पड़ने वाला अप्रत्यक्ष प्रभाव अधिक चिंताजनक है. हालांकि, घरेलू नीति वृद्धि के लिए सहायक बनी रहेगी और नकारात्मक जोखिम सामने आते हैं तो क्रमिक रूप से और अधिक उपाय किए जाएंगे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने संयुक्त वक्तव्य में अपने नागरिकों को अधिक समृद्ध, राष्ट्रों को अधिक मजबूत, अर्थव्यवस्थाओं को अधिक नवीन और आपूर्ति श्रृंखलाओं को अधिक लचीला बनाने के लिए व्यापार और निवेश का विस्तार करने का संकल्प लिया है. इस उद्देश्य से, नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार के लिए एक साहसिक नया लक्ष्य निर्धारित किया – मिशन 500 – जिसका लक्ष्य 2030 तक कुल द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना से अधिक कर 500 बिलियन डॉलर करना है.
दोनों नेताओं ने अमेरिकी और भारतीय कंपनियों के लिए एक-दूसरे के देशों में उच्च-मूल्य वाले उद्योगों में ग्रीनफील्ड निवेश करने के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता जताई. इस संबंध में, नेताओं ने भारतीय कंपनियों द्वारा लगभग 7.35 बिलियन डॉलर के निवेश का स्वागत किया.