क्रिसिल इंटेलिजेंस ने मंगलवार को कहा कि स्टील सेक्टर (Steel Sector) पर अमेरिकी टैरिफ का भारत पर कोई बड़ा असर पड़ने की संभावना नहीं है, क्योंकि इस वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में देश के कुल तैयार स्टील निर्यात का केवल 2 प्रतिशत ही अमेरिका को गया है. 12 मार्च से स्टील आयात पर 25% टैरिफ लगाने के अमेरिका के इस कदम का तीन गुना असर पड़ेगा, क्योंकि पहले कई तरह के टैरिफों की यह संख्या कम थी.
क्रिसिल इंटेलिजेंस के निदेशक-शोध सेहुल भट्ट ने कहा, अमेरिका के इस कदम से स्थानीय उत्पादन बढ़ने के साथ ही इसके व्यापार भागीदारों के निर्यात में कमी आएगी, लेकिन भारत पर इसका कोई खास असर पड़ने की संभावना नहीं है, क्योंकि इस वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों में भारत के कुल तैयार स्टील निर्यात का केवल 2% ही अमेरिका को गया है.
इसका दूसरा असर यह होगा कि निर्यातक इन्वेंट्री को बढ़ती वैश्विक प्रतिस्पर्धा के माहौल में एग्रेसिव कीमतों पर दूसरे आयातक देशों में भेजा जाएगा. परिणामस्वरूप भारत में स्टील की कीमतें और भी कम हो सकती हैं, जो पहले से ही 4 साल के निचले स्तर पर चल रही हैं. उन्होंने कहा, इसका मतलब है कि भारत सरकार को घरेलू क्षमताओं का समर्थन करने के लिए सुरक्षा शुल्क के साथ कदम उठाना पड़ सकता है. इसकी समय और मात्रा महत्वपूर्ण होगी.
अमेरिकी मिलों द्वारा उत्पादन में वृद्धि का मतलब निर्यात के लिए उपलब्ध स्टील स्क्रैप में कमी होगी. ऐसा इसलिए है, क्योंकि वहां के 70% स्टील उद्योग इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस प्रक्रिया का उपयोग करते हैं, जिसमें आमतौर पर स्क्रैप को स्टील बनाने के लिए परिवर्तित करना शामिल होता है. वर्तमान में, भारत अपनी स्क्रैप आवश्यकताओं का 14-15% अमेरिका से प्राप्त करता है. अमेरिका के लिए प्रमुख आयात स्रोतों में कनाडा, ब्राजील, मैक्सिको और दक्षिण कोरिया शामिल हैं. 2024 में, अमेरिका ने वियतनाम, ताइवान और ब्राजील से स्टील निर्यात में तेज वृद्धि देखी.