केंद्र सरकार की बड़ी पहल, वेस्ट रिसाइकलिंग स्टार्टअप्स को देगी वित्तीय मदद

Raginee Rai
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Waste recycling in India: वेस्‍ट रिसाइकलिंग की दिशा में केंद्र ने बड़ी पहल की है. कचरे की रिसाइ‍कलिंग में लगी कंपनियों को सरकार वित्‍तीय सहायता प्रदान करेगी. शनिवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि केंद्र सरकार वेस्ट रिसाइकलिंग स्टार्टअप्स को फाइनेंशियल सपोर्ट करेगी. उन्होंने कहा कि सरकार सिंगल-यूज प्लास्टिक पर बैन लगाने के साथ ही ऊर्जा एवं पानी की बचत पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है. मंत्रालय ने ऐसे स्टार्ट-अप को एकमुश्त वित्तीय मदद के लिए दिशानिर्देश दिए हैं.

भारत के शहरों में रोजाना निकलता है 42 मिलियन कचरा

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, यूरोप की तुलना में भारत में रोजाना एक तिहाई कचरा निकलता है लेकिन इसे ठिकाने लगाना एक बड़ी समस्या है. भारत के शहरों में हर रोज 42 मिलियन टन कचरा निकलता है. केंद्र सरकार का अनुमान है कि देश में कचरे से 5 गीगावॉट बिजली उत्‍पन्‍न की जा सकती है, जो मौजूदा स्थापित क्षमता से 30 गुना है. इसमें सबसे बड़ी चुनौती अपशिष्ट पृथक्करण की है.

सरकार की स्कीम

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि सरकार तटीय इलाकों में छोड़े गए मछली पकड़ने वाले गियर और प्लास्टिक कचरे की रिसाइकलिंग के लिए प्लांट स्थापित करने के लिए एकमुश्त वित्तीय मदद देगी. मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए एक नोट के मुताबिक, देश के 12 ‘ब्लू फ्लैग-प्रमाणित’ समुद्र तटों पर मछली पकड़ने के गियर/जाल और समुद्री प्लास्टिक वेस्‍ट की रिसाइकलिंग सुविधाओं की स्थापना पर ध्यान केंद्रित किया गया है.

मंत्रालय ने कहा कि ‘ब्लू फ्लैग’ समुद्र तटों के पास 25 रिसाइकलिंग प्लांट स्थापित करने के लिए एकमुश्त वित्तीय मदद दी जाएगी. 25 रीसाइक्लिंग संयंत्रों में 13 नायलॉन मछली पकड़ने के गियर के लिए और 12 प्लास्टिक कचरे के लिए शामिल हैं. सहायता राशि में संयंत्र और मशीनरी की लागत शामिल होगी. भूमि, निर्माण कार्य या अन्य खर्च इसमें शामिल नहीं होंगे.

कितनी होगी अनुदान राशि

प्लास्टिक वेस्‍ट रिसाइकलिंग यूनिट्स के लिए अनुदान प्रति टन उत्पादन क्षमता के लिए 19 लाख रुपये होगा या संयंत्र लागत का 40 प्रतिशत होगा, लेकिन अधिकतम सीमा 38 लाख रुपये की होगी. मछली पकड़ने के नायलॉन निर्मित गियर के रिसाइकलिंग प्लांट के लिए अनुदान प्रति टन क्षमता के लिए 24 लाख रुपये होगा या संयंत्र लागत का 40 प्रतिशत होगा. इसके लिए मैक्सिमम लिमिट 48 लाख रुपये होगी. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और परियोजना के प्रस्तावक के बीच 40 और 60 के अनुपात में लागत साझा की जाएगी.

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