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भारत में महिलाएं तेजी के साथ डिजिटल वित्तीय सेवाओं को अपना रही हैं, जिससे उनकी वित्तीय सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण वृद्धि हो रही है। पेनियरबाई सर्वेक्षण के मुताबिक, लगभग 40 प्रतिशत महिलाएं नकद निकासी के लिए आधार सक्षम भुगतान प्रणाली का उपयोग करती हैं। विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में महिलाओं की बैंकिंग, बीमा और ऋण सेवाओं में भागीदारी बढ़ी है।
क्या कहती है Report?
रिपोर्ट के अनुसार, देश में 10 में से 6 से अधिक महिलाएं वित्तीय और डिजिटल सेवाए प्रदान करने वाली उद्यमी बनने की इच्छा रखती हैं। महिलाओं के बीच बचत खातों की मांग में 58 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई है। यह सर्वे 10,000 एजेंटों के बीच किया गया, जिसमें महिलाओं का यह आंकड़ा सामने आया है। इसमें बीमा लेने के मामलों में 22 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है। इसके अलावा, ज्यादातर महिलाएं स्वास्थ्य, जीवन और दुर्घटना कवरेज भी ले रही हैं। यह ट्रेंड काफी हद तक महिला एजेंटों द्वारा सुगम बनाया गया है।
डिजिटली हो रहीं सशक्त
जिसमें उन्होंने कहा कि भारत में महिलाएं वित्तीय और डिजिटल सर्विस प्रोवाइडर के तौर पर अहम भूमिका निभा रही हैं। इससे वह न केवल अपना वित्तीय भविष्य सुरक्षित कर रही हैं बल्कि, अपने समुदायों को भी बदल रही हैं। बीमा अपनाने, बचत में भागीदारी और लोन लेने में तेजी से बढ़ोतरी होना महिलाओं के वित्तीय व्यवहार में एक मौलिक बदलाव को भी दिखाता है।
फॉर्मल लोन लेने के लिए भी महिलाओं की पहुंच में हुआ सुधार
फॉर्मल लोन लेने के लिए भी महिलाओं की पहुंच में भी सुधार हुआ है। जिसमें कहा गया कि 65 प्रतिशत महिलाएं- मेडिकल के खर्चे, घर की मरम्मत, शिक्षा और कृषि निवेश के लिए लोन लेने तैयार हैं। महिला एजेंट इस लोन अंतर को पाटने में ज्यादा प्रभावी साबित हो रही हैं। इस दौरान महिलाएं लेनदेन के लिए दूसरी महिलाओं पर भरोसा करती हैं। आगे कहा गया कि जैसे-जैसे महिलाएं इन भूमिकाओं को संभालती हैं। इससे वह फाइनेंशियल इकोसिस्टम को मजबूत कर रही हैं।