World Bank: ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने और कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए विश्व बैंक (World Bank) ने मदद के तौर पर भारत को 150 करोड़ डॉलर के लोन की मंजूरी दे दी है. इससे भारत को नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देन में मदद मिलेगी. एक बयान के मुताबिक, इस फंड का इस्तेमाल ग्रीन हाइड्रोजन, इलेक्ट्रोलाइजर के बाजार को बढ़ावा देने और रिन्यूबल एनर्जी की पैठ बढ़ाने के लिए होगा.
हरित ऊर्जा के लिए मिला दूसरे राउंड का फंड
बता दें कि भारत की ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए वर्ल्ड बैंक से फंडिंग का यह दूसरा राउंड है. पिछले साल जून में विश्व बैंक ने भारत के लो-कार्बन एनर्जी के विकास में तेजी लाने के लिए 1.5 करोड़ डॉलर की पहली लो-कार्बन एनर्जी प्रोग्रामेटिक डेवलपमेंट पॉलिसी ऑपरेशन को मंजूरी दी थी.
ग्रीन हाइड्रोजन का होगा उत्पादन
विश्व बैंक ने शनिवार को कहा कि निम्न-कार्बन ऊर्जा कार्यक्रम विकास नीति के अंतर्गत वित्तपोषण प्रोत्साहन का यह दूसरा राउंड है. इससे पहले जून 2023 में भी विश्व बैंक ने भारत को 150 करोड़ डॉलर की मंजूरी दी थी. इस मदद से देश में प्रति वर्ष 450,000 मीट्रिक टन ग्रीन हाइड्रोजन और 1,500 मेगावाट इलेक्ट्रोलाइजर के प्रोडक्शन की संभावना है. यह अक्षय एनर्जी क्षमता को गति देने और प्रति वर्ष 50 मिलियन टन उत्सर्जन में कमी लाने में भी मदद करेगा. वर्ल्ड बैंक ने कहा कि दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और जनसंख्या वाले देश भारत का कम कार्बन वाली, लचीली अर्थव्यवस्था में बदलाव घरेलू और वैश्विक दोनों ही स्तरों पर महत्वपूर्ण है.
भारत की विकास रणनीति का समर्थन जारी रहेगा: कौमे
वर्ल्ड बैंक के कंट्री डायरेक्टर ऑगस्टे तानो कौमे ने कहा कि विश्व बैंक भारत की कम कार्बन विकास रणनीति का सपोर्ट जारी रखेगा, जिससे देश के शुद्ध और शून्य उत्सर्जन लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद मिलेगी. साथ ही प्राइवेट क्षेत्र में स्वच्छ ऊर्जा से जुड़ी नौकरियों को भी बढ़ावा मिलेगा. दरअसल पहले और दूसरे दोनों ही फेज में ग्रीन हाइड्रोजन और नवीकरणीय ऊर्जा में प्राइवेट निवेश को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है.
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