छात्रों को मिलेंगे ऑन-द-जॉब ट्रेनिंग के अवसर, UGC ने लॉन्च किया NATS 2.0 पोर्टल

Raginee Rai
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NATS 2.0 Portal: भारत सरकार शिक्षा के क्षेत्र में कई बड़े और बेहतरीन बदलावों की ओर आगे बढ़ रही है. युवाओं को नॉलेज के साथ ही रोजगार के भी अच्‍छे अवसर मिले, इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसी क्रम में विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग ने (UGC) प्रशिक्षुता (Apprenticeship) के अवसरों तक पहुंच को बढ़ाने के लिए नेशनल अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग स्‍कीम (NATS 2.0) को लॉन्‍च किया है. इसके लिए छात्र पोर्टल  nats.education.gov.in पर जाकर अपना पंजीकरण कर सकेंगे. प्रशिक्षुता पूरी होने के बाद छात्रों को मान्यता प्राप्त सर्टिफिकेट प्रदान किया जाएगा. यह सुनिश्चित करके कौशल अंतर को पाटने में सहायता करेगा कि छात्र नौकरी के लिए तैयार हैं और प्लेसमेंट और उद्योग के रुझानों पर मूल्यवान जानकारी देते हैं.

क्या है NATS 2.0

NATS स्‍कीम भारत के युवाओं को व्यापार विषयों में सक्षम बनाने के लिए सरकार के प्रमुख योजनाओं में से एक है. 1973 में संशोधित शिक्षुता अधिनियम, 1961 के प्रावधानों के तहत राष्ट्रीय शिक्षुता प्रशिक्षण योजना (एनएटीएस); स्नातक, डिप्लोमा छात्रों और पेशेवर प्रमाणपत्र धारकों को व्यावहारिक, व्यावहारिक ऑन-द-जॉब-प्रशिक्षण (ओजेटी) आधारित कौशल अवसर प्रदान करता है. इस योजना की अवधि छह महीने से एक साल तक होती है.

सरकार ने युवाओं के लिए अप्रेंटिसशिप के अवसरों तक पहुंच को आसान बनाने के लिए NATS 2.0 पोर्टल लॉन्च किया है, जिससे उन्हें अपने कौशल अंतर को दूर करने में मदद मिलेगी. पोर्टल अभ्‍यर्थियों को उपयुक्त नियोक्ता को ढूंढने में मदद करेगा. इसके साथ ही उम्मीदवार पंजीकरण और आवेदन, नौकरी रिक्तियों के विज्ञापन, कांट्रेक्ट निर्माण, प्रमाणन और वजीफा वितरण सहित सभी प्रशिक्षुता-संबंधी गतिविधियों के लिए एक व्यापक समाधान के तौर पर काम करेगा. नियमों के मुताबिक लागू वजीफे, पोर्टल के जि‍रए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) के माध्यम से अप्रेंटिसशिप को वितरित किए जाते हैं.

लाभन्वित होंगे उच्‍च शिक्षण संस्‍थान

नेशनल अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग स्‍कीम (NATS 2.0) पोर्टल उच्च शिक्षण संस्थानों (HEls) को लाभान्वित करेगा, क्योंकि इससे छात्रों को कई नियोक्ताओं से जोड़ा जा सकेगा, प्रासंगिक कौशल और व्यावहारिक अनुभव के जरिए उनकी रोजगार क्षमता में इजाफा होगा. प्रशिक्षुता प्रबंधन को सुव्यवस्थित किया जा सकेगा, प्रशासनिक कार्यों को कम किया जा सकेगा और सक्रिय उद्योग जुड़ाव के जरिए संस्थान की प्रतिष्ठा को बढ़ावा मिलेगा. इसके अतिरिक्त, प्रत्‍यक्ष लाभ हस्‍तांतरण (DBT) के जरिए वजीफा वितरण किया जाएगा.

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