अहमदाबादः पाकिस्तान की कराची जेल से रिहा हुए 22 भारतीय मछुआरे मंगलवार को गुजरात के गिर सोमनाथ पहुंचे. अपने देश लौटने पर सभी ने खुशी व्यक्त की. उन्होंने सरकार से पड़ोसी देश की जेलों में बंद कई अन्य भारतीय मछुआरों की रिहाई में तेजी लाने का आग्रह किया.
मालूम हो कि पाकिस्तान की नौसैनिक सुरक्षा एजेंसी ने 22 मछुआरों को अप्रैल 2021 और दिसंबर 2022 के बीच गुजरात के पास अरब सागर में समुद्री सीमा के पास मछली पकड़ते समय पकड़ा था. वेरावल के सहायक मत्स्य निदेशक वीके गोहेल ने कहा कि लगभग 195 मछुआरे अभी भी पाकिस्तानी जेलों में बंद हैं.
रिहा किए गए 22 मछुआरों में से 18 गुजरात के और तीन पड़ोसी केंद्र शासित प्रदेश दीव के और एक उत्तर प्रदेश का है. एक बयान में गुजरात सरकार ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और कृषि मंत्री राघवजी पटेल ने केंद्र से उनकी रिहाई का अनुरोध किया था.
गोहेल ने कहा कि कुछ दिन पहले वाघा सीमा पर भारतीय अधिकारियों को सौंपे जाने के बाद मछुआरे सोमवार शाम ट्रेन से वडोदरा पहुंचे. वडोदरा पहुंचने पर मछुआरों ने अपने देश लौटने पर खुशी जाहिर की.
रिहा हुए मछुआरों ने किया दावा
रिहा किए गए मछुआरों में से एक ने वडोदरा में पत्रकारों से बात करते हुए दावा किया, “वे बीमारियों से पीड़ित हैं और भोजन को लेकर समस्याओं का सामना कर रहे थे. वे बहुत मुश्किल में हैं.” एक अन्य मछुआरे ने अपनी दुर्दशा का जिक्र करते हुए कहा कि साढ़े तीन साल पहले जब वह गुजरात तट पर मछली पकड़ने गया था तो उसे पाकिस्तानी समुद्री सुरक्षा एजेंसी ने पकड़ लिया था.
उन्होंने कहा, “वापस आए सभी 22 लोग बीमार हैं और अभी भी कई लोग वहां की जेलों में बंद हैं. हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि उन्हें जल्दी रिहा करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाए, क्योंकि वहां की जेलों में बहुत सारी समस्याएं हैं.”
जो लोग लौटे हैं, वो पाकिस्तानी जेल में बंद भारतीय मछुआरों का एक पत्र लेकर आए हैं, जिसमें उन्होंने अपना दर्द बयां किया है और सरकार से उनकी दुर्दशा का शीघ्र समाधान करने की अपील की है.
जाने क्या लिखा है पत्र में
पत्र में लिखा है, “हम यहां 150 मछुआरे हैं. दो साल पहले पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने हमें रिहा कर दिया था, लेकिन हम अभी भी कैद हैं. यहां से बाहर न निकल पाने के तनाव के कारण लगभग सभी मछुआरे मानसिक रूप से बीमार हो गए हैं.”
मछुआरों ने पत्र में दावा किया, “हम बीमार हैं, सांस लेने में कठिनाई और त्वचा रोगों का सामना कर रहे हैं, फिर भी यहां से केवल 22 मछुआरों को रिहा किया गया है. शेष 150 मछुआरों के साथ अन्याय हो रहा है. यहां कोई भी नहीं है जो हमारी स्थिति को समझता हो.”