Arvind Kejriwal News: दिल्ली हाईकोर्ट से केजरीवाल को राहत मिली है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग वाली याचिका खारिज हो गई है. दिल्ली हाईकोर्ट में याचिकाकर्ता सुरजीत सिंह यादव ने याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की थी.
याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया था कि केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार एवं उपराज्यपाल के प्रधान सचिव से यह बताने को कहा जाए कि किस अधिकार के तहत केजरीवाल सीएम पद पर बने हुए हैं. एक वित्तीय घोटाले के आरोपी मुख्यमंत्री को सार्वजनिक पद पर बने रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
अरविंद केजरीवाल को सीएम पद से हटाने के लिए याचिकाकर्ता सुरजीत सिंह यादव ने बताया कि हाईकोर्ट में जो जनहित याचिका दायर की. उसमें मैंने कई पहलूओं को बताया. उन्होंने कहा कि पहला पहलू गोपनीयता का है. दूसरा जब वह कैबिनेट मीटिंग नहीं ले पाएंगे, मसलन पिछली बार यमुना में बाढ़ के कारण कैबिनेट मीटिंग हुई थी और फैसले लिए गए थे, वो नहीं हो सकते. आगे तीसरा कारण बताते हुए कहा कि दिल्ली में मुख्यमंत्री हर विभाग के काम के बारे में दिल्ली एलजी को रिपोर्ट सौंपते हैं, ऐसा भी नहीं हो सकता.
Delhi High Court dismisses Public Interest Litigation (PIL) praying for the removal of Delhi Chief Minister Arvind Kejriwal from holding the post of chief minister of the government of Delhi.
The court said there is no scope for judicial interference.
(File photo) pic.twitter.com/l4tmXuL7dx
— ANI (@ANI) March 28, 2024
आगे कहा कि सीएम की जिम्मेदारी संभालना और एक सीएम के रूप में जेल से काम करना संभव नहीं है. इसलिए कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. याचिका में मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की है. एक सीएम के रूप में उन्हें जो मासिक वेतन मिलता है, एक विधायक से भी ज्यादा होता है. इसलिए अगर वह सीएम के रूप में काम करने में सक्षम नहीं है तो उस पैसे को भी न दिया जाए.
इसके अलावा, याचिका में कहा गया कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के कामकाज के लेन-देन नियम 1993 एक मुख्यमंत्री को कैबिनेट के किसी भी विभाग से टोर फाइलें मंगाने का अधिकार देता है और अगर केजरीवाल सीएम बने रहते हैं, तो वह अपने अधिकारों के दायरे में रहेंगे. उन फाइलों की जांच की मांग जिनमें उन्हें आरोपी बताया गया है. ऐसी स्थिति आपराधिक न्यायशास्त्र के लोकाचार के खिलाफ है.