बांग्लादेशः गुरुवार को पूर्व इस्कॉन पुजारी चिन्मय कृष्ण दास की जमानत पर होने वाली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के ग्यारह वकील भाग लेंगे. इसकी जानकारी डेली स्टार की रिपोर्ट में दी गई है.
अधिवक्ता अपूर्व कुमार भट्टाचार्य के नेतृत्व में कानूनी टीम बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने के आरोप से उत्पन्न राजद्रोह के मामले में चिन्मय का बचाव करेगी.
डेली स्टार से बात करते हुए अधिवक्ता अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने कहा कि हम ऐनजीबी ओइक्या परिषद के बैनर तले चटगाँव आए हैं और हम चिन्मय की जमानत के लिए अदालत में पैरवी करेंगे. मुझे चिन्मय से वकालतनामा पहले ही मिल चुका है. मैं सुप्रीम कोर्ट और चटगाँव बार एसोसिएशन दोनों का सदस्य हूँ, इसलिए मुझे केस चलाने के लिए किसी स्थानीय अधिवक्ता की अनुमति की जरूरत नहीं है.
इससे पहले 3 दिसंबर 2024 को चटगांव अदालत ने जमानत पर सुनवाई के लिए 2 जनवरी की तारीख तय की थी, क्योंकि अभियोजन पक्ष ने समय याचिका प्रस्तुत की थी और चिन्मय का प्रतिनिधित्व करने के लिए कोई अधिवक्ता नहीं था.
बांग्लादेश में अशांति की शुरुआत चिन्मॉय कृष्ण दास के खिलाफ दर्ज किए गए राजद्रोह के आरोपों से हुई है, जिन पर 25 अक्टूबर को चटगांव में बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराने का आरोप है. 25 नवंबर को उनकी गिरफ्तारी को लेकर विरोध प्रदर्शन भड़क उठे, जिसके कारण 27 नवंबर को चटगाँव न्यायालय भवन के बाहर उनके अनुयायियों और कानून प्रवर्तन अधिकारियों के बीच हिंसक झड़पों के रूप में हुई, जिसके परिणामस्वरूप एक अधिवक्ता की मौत हो गई थी.
अतिरिक्त गिरफ़्तारियों के बाद स्थिति और भी खराब हो गई. इस्कॉन कोलकाता के मुताबिक, दो साधुओं, आदिपुरुष श्याम दास और रंगनाथ दास ब्रह्मचारी को 29 नवंबर को हिरासत में लिया गया, जब वे हिरासत में चिन्मय कृष्ण दास से मिलने गए थे. संगठन के उपाध्यक्ष राधा रमन ने यह भी दावा किया कि दंगाइयों ने अशांति के दौरान बांग्लादेश में इस्कॉन केंद्र में तोड़फोड़ की.
विदेश मंत्रालय ने भी बांग्लादेश में बढ़ती हिंसा और चरमपंथी बयानबाजी पर चिंता व्यक्त की थी और इस बात पर जोर दिया था कि उसने ढाका के साथ अल्पसंख्यकों पर लक्षित हमलों के मुद्दे को लगातार उठाया है.
दिसंबर 2024 में बांग्लादेश में भारत की पूर्व उच्चायुक्त वीना सीकरी ने चिन्मय कृष्ण दास के बारे में एक खुला पत्र लिखा था. पत्र में कहा गया था कि पूर्व में विश्व प्रसिद्ध इस्कॉन के साथ जुड़े चिन्मय कृष्ण दास ने सनातनी जागरण जोत में अपने सहयोगियों के साथ बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों की ओर से 8 सूत्री मांग रखी थी, जिसमें बांग्लादेश में अल्पसंख्यक संरक्षण कानून बनाने, अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए एक मंत्रालय, अल्पसंख्यक उत्पीड़न के मामलों की सुनवाई के लिए एक विशेष न्यायाधिकरण, जिसमें पीड़ितों के लिए मुआवजा और पुनर्वास शामिल है, मंदिरों को पुनः प्राप्त करने और उनकी सुरक्षा के लिए एक कानून (देबोत्तर), निहित संपत्ति वापसी अधिनियम का उचित प्रवर्तन और मौजूदा (अलग) हिंदू, बौद्ध और ईसाई कल्याण ट्रस्टों को फाउंडेशन में अपग्रेड करने की मांग की गई थी.