Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में गुजरात सरकार के फैसले को पलटते हुए दोषियों की सजा माफी के आदेश को निरस्त कर दिया है. बिलकिस बानो गैंगरेप के 11 दोषियों की सजा गुजरात सरकार ने माफ कर दी थी. गुजरात सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जिस पर सुप्रीम कोर्ट आज अपना फैसला सुनाएगा. मालूम हो कि जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जवल भुइयां की पीठ ने मामले की सुनवाई की थी और 12 अक्तूबर 2023 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
मांफ कर दी गई थी दोषियों की सजा
गुजरात सरकार की माफी नीति के तहत वर्ष 2022 में बिलकिस बानो से गैंगरेप और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के दोषियों की सजा मांफ कर दी गई थी और उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया था. इन दोषियों को सीबीआई की विशेष अदालत ने वर्ष 2008 में उम्रकैद की सजा सुनाई थी, जिस पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी अपनी मुहर लगाई थी. उम्रकैद की सजा पाए दोषी को 14 साल जेल में ही बिताने होते हैं. उसके बाद अपराध की प्रकृति, जेल में व्यवहार और अन्य चीजों को ध्यान में रखते हुए सजा घटाने या रिहाई पर विचार किया जा सकता है. बिलकिस बानो गैंगरेप के दोषी जेल में 15 साल बिता चुके हैं. जिसके बाद दोषियों ने सजा में रियायत की गुहार लगाई थी. जिसके बाद गुजरात सरकार ने अपनी माफी नीति के तहत इन 11 दोषियों को जेल से रिहा कर दिया था.
गुजरात सरकार के इस फैसले के खिलाफ 30 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दायर की गईं थी. पहली याचिका में दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए उन्हें वापस जेल भेजने की मांग की गई थी. वहीं दूसरी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के मई में दिए गए आदेश पर पुनर्विचार की मांग की गई थी, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दोषियों की रिहाई का फैसला गुजरात सरकार करेगी.
सुनवाई के दौरान SC ने की अहम टिप्पणियां
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान केंद्र और गुजरात सरकार ने दोषियों की रिहाई के फैसले का बचाव किया और कहा कि दोषियों ने दुर्लभतम अपराध नहीं किया है और उन्हें सुधार का एक मौका दिया जाना चाहिए. इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि रिहाई में छूट का फायदा सिर्फ बिलकिस बानो के दोषियों को क्यों दिया गया? बाकी कैदियों को ऐसी छूट क्यों नहीं दी गई? साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या दोषियों को माफी मांगने का मौलिक अधिकार है? इस पर दोषियों के वकील ने माना कि दोषियों को माफी मांगने का मौलिक अधिकार नहीं है. मालूम हो कि गुजरात में वर्ष 2002 में हुए दंगों के दौरान उग्र भीड़ ने बिलकिस बानो के घर में घुसकर सात लोगों की हत्या कर दी थी. इस दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया था.