Hathras Satsang Accident: ये तो सच है कि जिंदगी तो बेवफा एक दिन ठुकराएगी, लेकिन यूं सांसे थम जाएगी, शायद हाथरस हादसे में जान गंवाने वालों ने कभी नहीं सोचा होगा. भगदड़ के बीच लोगों में चीख-पुकार मच गई. इधर-उधर भागने के दौरान जिनके भी पैर लड़खड़ाए, वह जमीन पर गिर पड़े और गिरे लोगों को रौंदते हुए लोग आगे बढ़ते गए. आलम यह हो गया कि कुछ ही देर में सत्संग स्थल श्मशान स्थल में बदल गया और 121 लोगों की जिंदगी सदा के लिए शांत हो गई. घटनास्थल से लेकर अस्पताल और पोस्टमार्टम हाउस पर मृतकों के परिजनों के रोने की आवाज फिजां में गूंजने लगी.
सत्संत में पहुंचे थे लगभग 50 हजार श्रद्धालु
मालूम हो कि बीते मंगलवार को यूपी के हाथरस जनपद के थाना सिकंदराराऊ क्षेत्र के गांव रतीभानपुर में आयोजित भोले बाबा के सत्संग में सुबह से श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम शुरु हो गया था. कोई ट्रेन, बस व अन्य साधनों से पहुंचा था, तो कोई निजी वाहन से. देखते ही लगभग लगभग 50 हजार श्रद्धालु सत्संग में पहुंच गए. इनमें अधिकांश महिलाएं थी.
रंगोली का बुरादा लेने के दौरान मची भगदड़
कार्यक्रम स्थल पर जगह भी समतल नहीं थी. दोपहर करीब दो बजे सत्संग समाप्त होने के बाद जहां तमाम लोग घरों को लौटने लगे. वहीं, हजारों खासकर महिला श्रद्धालुओं द्वारा बाबा का आशीर्वाद मानकर दंडवत प्रणाम कर रंगोली के बुरादे को लेने के दौरान भगदड़ मच गई. फिर क्या था, लोग शोर-शराबा के बीच इधर-उधर भागने लगे.
भागने के दौरान कीचड़-पानी में गिरे श्रद्धालु
सड़क किनारे खेत में पानी भरा था. भागने के दौरान कीचड़ और पानी में फंसकर श्रद्धालु गिर गए. जो गिरा, उसकों रौंदते हुए अन्य लोग निकलने लगे. महिलाओं-बच्चों के मुंह-नाक में कीचड़ भर गया था. भीड़ में कुचलने और दम घुटने से अधिक लोगों की मौतें हुईं हैं.
श्मशान के रूप में तब्दील हो गया सत्संग स्थल
कुछ ही देर में सत्संग स्थल श्मशान के रूप में तब्दील हो गया. चारों तरफ खासकर महिलाओं और बच्चों की लाशें दिखाई देने लगी. खेतों में लोगों के पैरों के निशान भयावह मंजर बयां कर रहे हैं. महिलाओं और बच्चों के चप्पल-सैंडल, पर्स और मोबाइल बिखरे पड़े थे. सड़क किनारे लगे चप्पल-सैंडल के ढेर को लोग देखने जुट गए.
जिसे भी जानकारी हुई, दौड़ पड़ा घटनास्थल की ओर
जिस किसी को भी हादसे की जानकारी, वह घटनास्थल की ओर दौड़ पड़ा. शोर-शराबा के बीच लोग बचाव कार्य में जुट गए. लोगों की यह कोशिश थी, जिनकी सांसे अभी चल रही है, उन्हें बचा लिया जाए. उधर, घटना की जानकारी होते ही प्रशासन में हड़कंप मच गया.
लोगों की चीख-पुकार के बीच फिंजा में गूंजने लगी हूटरों की आवाज
कुछ ही देर में लोगों की चीख-पुकार के बीच पुलिस के वाहन और एम्बुलेंस की हूटरों की आवाज फिजां में गूंजने लगी. अफरा-तफरी भरे माहौल के बीच शवों और घायलों को सिकंदराराऊ के ट्रामा सेंटर और एटा के मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र परिसर में दोपहर ढाई बजे से शुरू हुआ शवों के आने का सिलसिला शाम साढ़े 4 बजे थमा.
चारों तरफ दिखाई दे रही थी लाशे
आलम यह था चारों तरफ लाशे ही दिखाई दे रही थी. मृतकों के शवों के पास बैठकर परिवार के लोग विलाप कर रहे थे. बिलख रहे लोगों को सांत्वना देने वालों की आंखें भी छलक जा रही थी. लोगों द्वारा लाख ढांढस बंधाने के बाद भी परिजनों के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे. वह बिलखते हुए घटना के ऊपर वाले की दुहाई दे रहे थे.
लोगों की आंखे टिकी थी मौत के मंजर पर
पोस्टमार्टम हाउस के बाहर लाशों का ढेर लगा था. पहली बार इतनी संख्या में लाशें देखकर सीएचसी के कर्मचारी भी बदहवास हो गए. उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि कौन मृतक है और कौन घायल. मातमी सन्नाटे में मृतकों के परिवार के लोगों के बिलखने की आवाज फिजां में गूंजती रही.इस दौरान वहां सैकड़ों लोग मौजूद थे. चेहरे पर उदासी लिए लोगों की आंखें मौत के मंजर पर टिकी रही.
पोस्टमार्टम के लिए अधिकारी लाउडस्पीकर से बुलाए परिजनों को
अधिकारी लाउडस्पीकर के माध्यम से परिजन को बुलाकर शवों के पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पूरी कराने में जुट गए. एएसपी धनंजय सिंह कुशवाहा ने माइक को संभाला. शवों के पास मिले नाम-पतों से घोषणा कर बुलाया जाता रहा. जो परिजन पहुंचे, उनके शवों का पोस्टमार्टम शुरू कराया गया. देर रात तक शवों के पोस्टमार्टम का सिलसिला जारी रहा.
121 परिवारों को मिला ताउम्र न भरने वाला जख्म
कुल मिलाकर कहा जाता है कि ऊपर वाले की मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता है, शायद उसकी यही मर्जी रही हो, लेकिन यह कहना भी गलत नहीं होगा कि हाथरस हादसा 121 परिवारों को मौत का ऐसा जख्म दे गया, जो शायद ताउम्र न भरे. खासकर उन लोगों के आंखों के सामने मौत का मंजर जिंदगीभर नांचता रहेगा, जिनके अपनों ने उनकी आंखों के सामने ही दम तोड़ा है.