प्रयागराजः एमपी-एमएलए की स्पेशल कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति के मुकदमे में उत्तर प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री राकेश धर त्रिपाठी को शुक्रवार को दोषी करार दिया है.
एमपी-एमएलए विशेष न्यायालय के न्यायाधीश डॉ दिनेश चंद्र शुक्ल ने अभियोजन तथा आरोपित पक्ष के अधिवक्ताओं की विस्तृत दलील सुनने के बाद निर्णय सुनाने की तारीख 22 दिसंबर नियत की थी.
शनिवार दोपहर बाद विशेष कोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में पूर्व मंत्री राकेश धर त्रिपाठी को दोषी पाते हुए 3 वर्ष का कारावास और 10 लाख रुपए के अर्थ दंड के सजा से दंडित किया था.
कोर्ट ने कहा कि अगर अर्थ दंड की राशि नहीं जमा की गई तो 6 माह का अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी पड़ेगी. पिछले कई माह से प्रतिदिन विचाराधीन मुकदमे की सुनवाई हो रही थी.
मालूम हो कि राम सुभग राम ने राकेश धर के विरुद्ध थाना मुट्ठीगंज में 23 नवंबर 2012 को मुकदमा पंजीकृत कराया था, जिसमे विवेचना प्रारंभ की गई फिर विवेचना सतर्कता विभाग को सौंप दी गई. सतर्कता विभाग ने विवेचना के पश्चात आरोप पत्र वाराणसी सत्र न्यायालय में सत्र न्यायाधीश के समक्ष प्रस्तुत कर दिया था. मामले में अग्रिम विवेचना भी की गई, जिसमें अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी.
सत्र न्यायालय वाराणसी ने संज्ञान लेकर मामले में कार्यवाही प्रारंभ की थी. प्रदेश में माननीय की विशेष न्यायालय गठित होने पर यह मामला अंतरित होकर इस विशेष न्यायालय को प्राप्त हो गया.
जाने क्या है आरोप
आरोप है कि 1 मई 2007 से 31 दिसंबर 2011 के बीच उत्तर प्रदेश सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री के रूप में लोकसेवक रहे. पद पर रहते हुए इस अवधि के दौरान आय के समस्त स्रोतों एवं वैध स्रोतों से 49,49,928, रुपए अर्जित किया तथा इस अवधि में संपत्ति अर्जन एवं भरण-पोषण पर 2,67,08,605 रुपए खर्च किया, जोकि आय के सापेक्ष 2,17,58,677 रुपए अधिक है, जिसका संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया, जो कि भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13 (2) के अधीन अंतर्गत दंडनीय अपराध की श्रेणी में आता है.