Pakistan PTI Rally: जेल में बंद पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की रिहाई को लेकर पाकिस्तान में बांग्लादेश जैसे हालात बनते नजर आ रहे हैं. पीटीआई ने पूरे देश में प्रदर्शन को तेज कर दिया है. दूसरी तरफ सरकार ने इस्लामाबाद और रावलपिंडी को सील कर दिया है. रविवार को इस्लामाबाद में हुए प्रदर्शन के दौरान 7 लोगों की जान चली गई, वहीं 10 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए. पीटीआई के सीनियर लीडर और खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अली अमीन गंडापुर ने आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है.
मालूम हो कि बीते रविवार को एक रैली के दौरान अली अमीन गंडापुर ने इमरान की रिहाई के लिए सरकार को दो सप्ताह का अल्टीमेटम दिया. इस दौरान गंडापुर ने कहा, ‘अगर सरकार दो सप्ताह में इमरान खान को रिहा नहीं करती है, तो अल्लाह कसम हम खुद ही उन्हें रिहा कर देंगे.’ गंडापुर अपने भाषण के दौरान भीड़ को भड़काते नजर आए. उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तानियों सुन लो अगर एक-दो सप्ताह में कानूनी तरीके से सरकार ने इमरान को नहीं रिहा किया तो अल्लाह की कसम हम खुद ही उन्हें रिहा कर देंगे.’ गंडापुर के इतना कहते ही भीड़ ने शोर मचाकर अपना समर्थन जताया.
आर-पार की लड़ाई का पीटीआई ने किया ऐलान
गंडापुर ने भीड़ से सवाल करते हुए कहा, ‘क्या सब लोग न्याय के लिए तैयार हो? मैं आपको लीड करूंगा, पहली गोली मैं खाऊंगा, अब पीछे मत हटना. अगर अब हम पीछे हटे तो न ऐसा दोबारा मौका मिलेगा न दोबारा ऐसे लीडर मिलेगा.’ दरअसल, इस्लामाबाद जिला प्रशासन ने रैली के लिए एनओसी जारी किया था, जिसके बाद उपनगरीय इलाके संगजानी कैटल मार्केट के पास एक मैदान में रैली हुई. इस रैली में हजारों की संख्या में पीटीआई समर्थक शामिल हुए, जिससे यह साफ हो गया कि इमरान खान को जेल में डालने के बावजूद उनकी पार्टी की नींव अभी भी मजबूत है.
पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की लोकप्रियता अभी भी कायम
मालूम हो कि इमरान खान को पिछले वर्ष 5 अगस्त को तोशखाना मामले में जेल में बंद किया गया था, तभी से अलग-अलग मामलों में इमरान खान 400 दिनों से जेल में बंद हैं. रविवार को इस्लामाबाद में हुई रैली के दौरान पीटीआई कार्यकर्ताओं की तरफ से की गई पत्थरबाजी में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शोएब खान सहित कई सुरक्षाकर्मी घायल हो गए हैं. दक्षिण एशियाई मामलों के जानकार माइकल कुग्लेमैन ने इस मसले को लेकर एक्स पर पोस्ट किया है. उन्होंने लिखा कि रैली में संख्या को कम करने के लिए सरकार ने तमाम प्रयास किए थे, इसके बावजूद पहुंची संख्या ने साबित कर दिया है कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ की लोकप्रियता अभी भी कायम है.