Supreme Court: SC का केजरीवाल को तत्काल राहत देने से इनकार, 26 को अगली सुनवाई

Ved Prakash Sharma
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Delhi Liquor Case: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में निचली अदालत से मिली नियमित जमानत पर दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा अंतरिम रोक लगाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर जल्द सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है. केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत नही मिली है.

26 जून को होगी अगली सुनवाई
इस मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा प्रस्ताव यह है कि हाई कोर्ट के आदेश को रिकॉर्ड पर आने दिया जाए और हम मामले को अगले सप्ताह रख सकते हैं. बिना आदेश के हम आगे कैसे बढ़ें. कोर्ट 26 जून को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. मामले की सुनवाई जस्टिस मनोज मिश्रा और जस्टिस एसवीएन भट्टी की अवकाशकालीन बेंच कर रही है. मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस मनोज मिश्रा ने कहा कि समान्यतः हाई कोर्ट को सुनवाई के बाद तुरंत आर्डर करना चाहिए था. लेकिन हाई कोर्ट ने गलत किया तो हम भी करें?

केजरीवाल की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि जमानत मिलने के बाद ईडी की मांग पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी. यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दिए गए दिशा-निर्देशों के मुताबिक नहीं है. सिंघवी ने कहा कि ईडी ने 48 घंटे मांगे थे. लेकिन राउज एवेन्यू कोर्ट ने नहीं दिए. हाई कोर्ट के आदेश और प्रक्रिया पर यह अदालत रोक लगाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट ने कहा कि 2 दिन में दे देंगे. ऐसे में क्या परेशानी है‌. सिंघवी ने कहा कि यह उचित नहीं है. जब फैसला मेरे पक्ष में आया तो रोक क्यों?

सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की तरफ से पेश अन्य वकील से कहा कि एक-दो दिन की बात है. हाई कोर्ट का आदेश आने दें. सिंघवी ने कहा कि निचली अदालत ने अपने फैसले में साफ किया है कि ईडी के पास स्पष्ट साक्ष्य नहीं हैं. जस्टिस मनोज मिश्रा ने कहा कि अगर हम अभी आदेश देते हैं, तो हम इस मुद्दे पर पूर्वाग्रह से ग्रसित होंगे. यह कोई अधीनस्थ न्यायालय नहीं है, यह एक हाई कोर्ट है. केजरीवाल के अधिवक्ता ने कहा कि केजरीवाल समाज के लिए खतरा नहीं हैं. उन पर लगाए गए आरोप अभी साक्ष्यों द्वारा स्पष्ट नहीं हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश एक दो दिन में आने वाला है. सिंघवी ने कहा कि इस बीच केजरीवाल को रिहा क्यों नहीं किया जा सकता है? ट्रायल कोर्ट का फैसला हमारे पक्ष में था. केजरीवाल के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के 10 मई के आदेश का हवाला दिया, जिसमें उन्हें अंतरिम जमानत दी गई थी. उन्होंने कहा कि तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केजरीवाल दिल्ली के सीएम हैं, उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है, उन्हें गिरफ्तार करने का कोई खतरा नहीं है, जांच अगस्त 2022 से लंबित थी और उन्हें केवल मार्च 2024 में गिरफ्तार किया गया था. केजरीवाल के वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत देने के आदेश के बाद नियमित जमानत के लिए निचली अदालत में जाने को कहा था. जब वहां से जमानत मिली तो हाई कोर्ट ने रोक लगा दी, जो सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के दिशा-निर्देशों के मुताबिक नहीं है, जो कैदियों के संबंध में दिया गया था.

सिंघवी ने कहा कि हाई कोर्ट में ईडी ने बिना आदेश की प्रति के याचिका दायर कर दी. ईडी ने कहा कि बाद में आदेश आया तो उसकी प्रति दी गई. अभिषेक सिंघवी ने दलील दी कि यदि हाई कोर्ट बिना ऑर्डर और फाइल के स्टे का आदेश दे सकता है तो सुप्रीम कोर्ट क्यों नहीं कर सकता ? सुप्रीम कोर्ट भी कर सकता है. ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दो दिन में अवकाश कालीन बेंच में यह फैसला दिया. यह पूरी तरह से गलत है. निचली अदालत ने अपने ही आदेश में लिखा है कि वह ईडी के दस्तावेजों को नहीं देख पाई है.

मालूम हो कि केजरीवाल की ओर से दायर याचिका में दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. हाई कोर्ट ने केजरीवाल को निचली अदालत से मिली नियमित जमानत पर अंतरिम रोक लगाई थी. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में एक बार फिर से “पिटीशनर इन पर्सन” के तौर पर याचिका दायर की है. बता दें कि निचली अदालत ने अरविंद केजरीवाल को एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी थी. जिसके खिलाफ ईडी द्वारा दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका पर सुनवाई के बाद अगले आदेश तक रोक लगा दिया था. मामले की सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा था कि निचली अदालत ने दलील रखने का पूरा मौका नहीं दिया और ना ही लिखित जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया. इसलिए निचली अदालत के आदेश पर तत्काल रोक लगाई जाए.

हवाला के जरिए दिए गए 45 करोड़ रुपये- ED
ईडी की तरफ से पेश एसवी राजू ने कहा था कि ईडी के पास केजरीवाल के खिलाफ पुख्ता सबूत है. इसलिए उन्हें जमानत नहीं मिलनी चाहिए. वहीं केजरीवाल की ओर से पेश अधिवक्ता ने अदालत में कहा था कि केजरीवाल के खिलाफ यह पूरा मामला सिर्फ कल्पना पर आधारित है. सुनवाई के दौरान ईडी की ओर से पेश एडिशन सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि 45 करोड़ रुपये हवाला के जरिए दिए गए, जिनका आम आदमी पार्टी ने गोवा चुनाव में इस्तेमाल किया. चनप्रीत सिंह ने केजरीवाल के गोवा में 7 स्टार होटल में ठहरने के लिए पैसे लिए. राजू ने सागर पटेल के बयान को पढ़ते हुए कहा कि चनप्रीत सिंह सहित तीन लोगों को पैसे मिले. चनप्रीत सिंह को बड़ी मात्रा में पैसे मिले, जिन पैसों को केजरीवाल के ठहरने के लिए 7 स्टार होटल और गोवा चुनाव में खर्च किए गए. ईडी हवा में कुछ नहीं कह रही है. ईडी के पास करेंसी नोट के फोटोग्राफ मिले हैं, जो कि दिए गए थे. विनोद चौहान ने चनप्रीत सहित दूसरे लोगों को पैसे देने का निर्देश दिया था. करंसी नोट के फोटोग्राफ विनोद चौहान के फोन से मिले थे. विनोद चौहान के केजरीवाल से अच्छे संबंध थे. राजू ने विनोद चौहान और केजरीवाल के चैट्स का जिक्र किया. राजू ने कहा कि केजरीवाल कहते हैं कि उनका फोन पवित्र है, मैं पासवर्ड नहीं दूंगा.

ईडी को विनोद चौहान का फोन लेना पड़ा. राजू ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग कानून की धारा 70 के मुताबिक, अगर आम आदमी पार्टी ने अपराध किया है और केजरीवाल आम आदमी पार्टी को चला रहे हैं तो वे उस अपराध के आरोपित माने जाएंगे. अनुच्छेद 70 उन पर लागू होती है क्योंकि वे आम आदमी पार्टी के संस्थापक थे. वहीं केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने कहा कि इस मामले में अगस्त 2022 में जांच शुरू हुई. जुलाई 2023 तक ईडी के पास केजरीवाल के खिलाफ कुछ साक्ष्य थे, लेकिन उन्होंने पहला समन अक्टूबर 2023 में जारी किया. केजरीवाल को सीबीआई ने गवाह के तौर पर बुलाया. 12 जनवरी को ईडी ने एक ईमेल किया. उस ईमेल में ये नहीं बताया कि केजरीवाल को आम आदमी पार्टी के संयोजक होने के नाते बुलाया जा रहा है.

16 मार्च को चुनाव की घोषणा होती है और उसी दिन समन जारी किए जाते है. 20 मार्च को हाई कोर्ट में मामला लिस्ट होता है और हाई कोर्ट ईडी को नोटिस जारी करती है. 21 मार्च को हाई कोर्ट ने कोई अंतरिम राहत देने से इंकार कर दिया. उसके बाद 21 मार्च को शाम को ईडी ने केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया.

मालूम हो कि दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को नई आबकारी नीति लागू कर सरकार के राजस्व में वृद्धि होने का दावा किया था. जुलाई 2022 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव ने आबकारी नीति में अनियमितता होने के संबंध में एक रिपोर्ट उपराज्यपाल वीके सक्सेना को सौंपी थी. मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर उपराज्यपाल ने नई आबकारी नीति 2021-22 के क्रियान्वयन में नियमों के उल्लंघन और प्रक्रियात्मक खामियों का हवाला देकर 22 जुलाई 2022 को सीबीआई जांच की सिफारिश की थी. इस पर सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की थी और सीबीआई की FIR के आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था. जांच की सिफारिश करने के बाद 30 जुलाई 2022 को दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति को वापस लेते हुए पुरानी व्यवस्था बहाल कर दी थी.

सीबीआई और ईडी का आरोप है कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितता की गई थी और लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया था. इस नीति से सरकारी खजाने को 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा था. ईडी का आरोप है कि आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल आबकारी घोटाले के सरगना और मुख्य साजिशकर्ता हैं. वो कुछ व्यक्तियों को लाभ पहुंचाने की साजिश में शामिल थे और इस लाभ के बदले शराब व्यवसायियों से रिश्वत की मांग की गई. आम आदमी पार्टी के गोवा विधानसभा चुनाव में अपराध की आय का इस्तेमाल किया, जिसमें केजरीवाल मुख्य साजिशकर्ता है.

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