Annapurna Temple: धार्मिक नगरी वाराणसी का पुराणों में विशेष महत्व है. बाबा काशी विश्वनाथ की नगरी काशी में एक से एक प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर हैं, जिनका वर्णण धार्मिक ग्रंथों में मिलता है. इसी वजह से वाराणसी को मंदिरों का शहर कहा गया है. हिंदू धर्म में चाहे कोई भी त्यौहार क्यों ना हो उसका संबंध काशी के किसी न किसी मंदिर से मिल जाएगा. हिंदू धर्म में पांच दिनों तक मनाए जाने वाले दिवाली का पर्व नजदीक है. ऐसे में आज हम आपको बाबा विश्वनाथ के दरबार में स्थित एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका कपाट साल में केवल एक बार ही खुलता है.
जानिए इस मंदिर के बारे में
दरअसल, हम बात कर रहे हैं बाबा विश्वनाथ के आंगन में विराजित प्रसिद्ध माता अन्नपूर्णा मंदिर की. इस अनोखे मंदिर का कपाट साल में सिर्फ एक बार धनतेरस के दिन खुलता है. माता अन्नपूर्णा को तीनों लोकों में धन-धान्य और खाद्यान्न की देवी माना जाता है. धार्मिक ग्रंथों में ऐसा वर्णन है कि स्वयं काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ ने मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी.
बता दें कि यह मंदिर साल में सिर्फ एक बार धनतेरस के दिन खुलता है. इस दिन अन्नकूट महोत्सव आयोजित होता है. मां अन्नपूर्णा के कपाट के साथ ही मंदिर में स्थित कुबेर का खजाना भी खुलता है. इस खजाने को प्रसाद के रूप में भक्तों को लुटाया जाता है. खजाने में से भक्तों को धान, लावा और चांदी के सिक्के का प्रसाद बांटा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस खास मौके पर जिसे मां अन्नपूर्णा का ये प्रसाद मिल जाता है और उसे वे लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख ले तो उसके पास कभी अन्न-धन्न की कमी नहीं होती है.
धनतेरस के खास मौके पर माता अन्नपूर्णा के दर्शन और प्रसाद का विशेष महत्व है. मां अन्नपूर्णा की स्वर्ण प्रतिमा अन्नकूट महोत्सव के दिन की सार्वजनिक रूप से एक दिन के लिए दर्शनार्थ निकाली जाती है, जिससे मां के अलौकिक स्वरूप का भक्तों का दर्शन मिलता है.
जानिए इस बार कब बांटा जाएगा खजाना
इस बार धनतेरस 10 नवंबर को है. ऐसे में दिवाली पर्व की शुरुआत 10 नवंबर से हो रही है. बाबा विश्वनाथ के आंगन में विराजने वाली मां अन्नपूर्णा के दर्शन 10 नवंबर से ही शुरू हो जाएंगे. खास बात यह है कि इस बार शिव नगरी काशी पर अन्न-धन की बरसात करने वाली मां अन्नपूर्णा पहली बार भक्तों पर पांच दिन तक अपना आशीष बरसाएंगी. इसके पीछे की वजह तिथियों की हेरफेर है. धनतेरस से स्वर्णमयी अन्नपूर्णा के विग्रह के दर्शन शुरू होंगे, जो 14 नवंबर तक चलते रहेंगे. भक्त इस खास मौके पर माता के स्वर्णमयी विग्रह मां अन्नपूर्णा, मां भूमि देवी और रजत महादेव के दर्शन कर सकेंगे. वहीं 14 नवंबर को अन्नकूट की झांकी के बाद मध्य रात्रि में दर्शन पूजन किया जाएगा. इसके बाद मां अन्नपूर्णा का यह मंदिर अगले साल तक के लिए फिर बंद हो जाएगा.
बाबा विश्नवनाथ ने मांगी थी माता अन्नपूर्णा से भीख
इस मंदिर के बारे में ऐसा बताया जाता है, एक बार महादेव की काशी में अकाल पड़ा, चारों ओर तबाही ही तबाही मची हुई थी. स्थिति इतनी खराब हो गई कि लोग भूख के मारे तड़प तड़पकर मरने लगे. तब बाबा काशी विश्वनाथ ने अकाल और भुखमरी से लोगों को बचाने के लिए भगवान शिव ने खुद मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी.
इसका वर्णन “अन्नपूर्णे सदापूर्णे शंकरप्राण बल्लभे, ज्ञान वैराग्य सिद्धर्थं भिक्षां देहि च पार्वती. में मिलता है. जिसके बाद मां अन्नपूर्णा ने बाबा विश्वनाथ को वचन दिया कि आज के बाद काशी में कोई भूखा नहीं रहेगा. मां अन्नपूर्णा का यह आशीर्वाद आज भी काशीवासियों पर बनी हुई है. यही वजह है कि आज के समय में काशी में आने वाले कोई व्यक्ति भूखा नहीं रहता है.
वहीं धनतेरस के दिन उनके दर्शनों के समय कुबेर का खजाना बांटा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन माता अन्नपूर्णा काशी में अन्न-धन्न का बरसात करती हैं. इस दिन जिन्हें भी अन्नपूर्णा माता मंदिर में स्थित कुबेर के खजाने का प्रसाद मिलता है, उन्हें कभी भी धन-धान्य का अभाव नहीं होता.
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