Pitru Paksha: पितृपक्ष में करें इस स्त्रोत का पाठ, पितर होंगे प्रसन्न; मिलेगी पितृदोष से मुक्ति

Shubham Tiwari
Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Pitra Paksha Puja Method 2023: इस साल पितृपक्ष 29 सितंबर, दिन शुक्रवार से शुरू हो रहा है. पितृपक्ष का समय पितरों को समर्पित है. ऐसे में इस दौरान पितरों की पूजा की जाती है. इस दौरान दान-धर्म और पितरों की आत्मा के शांति के लिए उनका तर्पण बहुत पुण्यकारी माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि जिनके घर में पितरों की पूजा की जाती है, वहां कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है. वहीं जिनके घरों में पितर पक्ष के दौरान पितरों के नाम पर श्राद्ध तर्पण नहीं किया जाता है, वहां पितृदोष लगता है और पूरे साल परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

अगर आपके घर में पितृदोष है जिसके चलते आप परेशान हैं और आप पितृदोष से छुटकारा पाना चाह रहे हैं तो आप पितृपक्ष के दौरान नियमित दिव्य पितृ स्त्रोत का पाठ करें. ज्योतिष की मानें तो यह पाठ बहुत पुण्यदायी होता है. इससे न सिर्फ पितृदोष से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन की हर छोटी-बड़ी परेशानियां दूर हो जाती है.

बता दें कि पितृपक्ष के दौरान नियमित स्नान करने के बाद पितरों को जल अर्पित कर नीचे दिए गए दिव्य पितृ स्त्रोत का पाठ करने से पितृदेव प्रसन्न होंगे और घर में मौजूद पितृदोष समाप्त हो जाएगा.

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दिव्य पितृ स्त्रोंत
अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम्।

नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम्।।

इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा।

सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान्।।

मान्वादीनां च नेतारः सूर्याचन्दमसोस्तथा।

तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युधावपि।।

नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा।

द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलिः।।

देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान्।

अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलिः।।

प्रजापतेः कश्पाय सोमाय वरुणाय च।

योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलिः।।

नमोः गणेभ्यः सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु।

स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे।।

सोमधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा।

नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम्।।

अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम्।

अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषतः।।

ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तयः।

जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिणः।।

तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्यः पितृभ्यो यतामनसः।

नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज।।

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(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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