Chhath Puja 2023: दीपावली का त्योहार समाप्त होते ही लोग आस्था के महापर्व छठ पूजा की तैयारियों में जुट गए है. छठ में भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सूप का खास महत्व होता है. ऐसे में छठ पर्व के नजदीक आते ही सूप-दउरा की मांग बढ़ जाती है.
चार दिनों तक चलने वाले इस आस्था के पर्व के लिए कारीगर दिन रात एक करके मेहनत करते है. वहीं, दलित बस्ती में दलित समाज के लोग बांस के सूप और दाउरा बनाने में जी जान से लगे हुए हैं. छठ पूजा में बांस के सूप और दउरा का खास महत्व होता है. यही वजह है कि सूप और दउरा बनाने वाले कारीगर छठ के इस महापर्व में ही साल भर की कमाई का रास्ता तलाशते है.
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सूप दउरें के कीमतों में आई उछाल
हालांकि इस बार बांस की कीमत के अधिक होने से सूप और दउरे की कीमतों में भी काफी उछाल देखा जा रहा है. वहीं सूप और दउरे बनाने वाले लोगों का कहना है कि उन्हें सरकारी मदद भी नहीं मिल पाती है. वो पूरे परिवार के साथ मिलकर सूप और दउरा बनाते हैं और इसकी कमाई से उनका साल भर का गुजारा होता है.
मेहनत अधिक कमाई कम
करीगरों के अनुसार इस काम में मेहनत अधिक है और कमाई मामूली सी है. यही वजह है कि व्यापक पैमाने पर यह कार्य नहीं किया जाता है. लोगों का कहना है कि छठ के बाद थोड़ी बहुत ही लग्न के समय दउरा की बिक्री होती है. जिससे की साल भर गुजर बसर करते हैं.