Govardhan Puja: रोशनी का त्योहार दिवाली में पूरी दुनिया दीपों के उत्सव में डूब जाती है. वहीं ब्रजभूमि गोवर्धन पूजा को विशेष महत्व देता है. दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा मनाया जाता है. लेकिन इस बार अन्नकूट महोत्सव दिवाली के एक दिन बाद 14 नवंबर को मनाया जा रहा है. इसमें मौसमी सब्जियों, मिष्ठान और पकवानों के मिश्रण से तैयार अन्नकूट का भोग लगाया जाता है.
इस बार 14 को है पूजा
इस बार 14 नवंबर को गोवर्धन पूजा (Govardhan Puja) मनाया जाएगा. अन्नकूट के दिन सबसे पहले गिरिराज प्रभु का दूध और पंचामृत से अभिषेक होगा. गिरिराज शिलाओं पर दूध की धार सुबह करीब चार बजे शुरू होती है जोकि देर रात तक चलती है. गोवर्धन पूजा महोत्सव ब्रजभूमि में दूध की नालियां बहती हैं, वाली कहावत को चरितार्थ करती है.
दोपहर ढलते ही गिरिराज प्रभु का स्वर्णिम श्रृंगार भक्तों के मन को मोह लेता है. इसके बाद प्रभु को अन्नकूट का भोग समर्पित किया जाएगा. गिरिराज प्रभु के साथ ही अग्नि, वृक्ष, जलदेवता, गोमाता सभी देवों की आराधना की जाती है.
धार्मिक इतिहास के झरोखे से गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पर्वत यानी गिरिराजजी की महिमा को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है. 21 किमी में विराजमान गिरिराजजी को सब देवों का देव भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यता है कि करीब पांच हजार वर्ष पूर्व श्रीकृष्ण ने देवताओं के राजा इंद्र की पूजा छुड़वाकर गिरिराज महाराज की पूजा कराई. ग्वालों की टोली के साथ श्रीकृष्ण ने दिवाली पर सप्तकोसीय परिक्रमा लगाकर दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की. इस पर इंद्रदेव ने मेघ मालाओं को ब्रज भूमि को बहाने का आदेश दे दिया. मेघों की गर्जना सुन ब्रजवासी घबरा गए. ब्रजवासियों की करुण पुकार सुन सात बरस के कान्हा ने सात दिन सात रात तक सात कोस गिरिराज को अपने बाएं हाथ की कनिष्ठ उंगली पर उठाकर इंद्र का मान मर्दन किया और ब्रज वासियों को इंद्रदेव के प्रकोप से बचाया.
गिरिराज पूजा के दौरान इतना दूध चढ़ाया गया कि ब्रज की नालिया दूध से भर गई. पूजन के पश्चात अन्नकूट का भोग लगाया गया. तभी से लेकर आज तक गोवर्धन पूजा की परंपरा चली आ रही है. ब्रजभूमि में इस पूजा का भव्य रूप दानघाटी मंदिर और मुकुट मुखारविंद मंदिर में दिखाई देगा.
सनातन संस्कृति पर झूमते विदेशी भक्त
गोवर्धन पूजा पर देश के साथ ही हजारों विदेशी भक्त भारतीय परिधान-पहन कर प्रभु नाम संकीर्तन करने जाते हैं. सिर पर प्रसाद की टोकरी लिए ये भक्त दुग्धाभिषेक के उपरांत गिरिराज प्रभु को अन्नकूट प्रसाद का भोग लगाते हैं. भक्त राधाकुंड मार्ग स्थित गौड़ीय मठ पर एकत्रित होकर पूजा स्थल तक जाते हैं.
इस बार 14 नवंबर को ब्रजभूमि में गोवर्धन पूजा और अन्नकूट महोत्सव की धूम देखने को मिलेगी. मुकुट मुखारविंद मंदिर और दानाघाटी मंदिर में 14 नवंबर को तो वहीं जतीपुरा मुखारविंद मंदिर सेवायत सुनील पुरोहित के मुताबिक, दीपावली के अगले दिन यानी 13 नवंबर को अन्नकूट महोत्सव मनाया जाएगा.
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