Shardiya Navratri 2023: शारदीय नवरात्रि के महापर्व की शुरुआत 15 अक्टूबर, दिन रविवार से हो रही है. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के सभी मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलेगी. मां दुर्गा के कुछ मंदिर ऐसे हैं, जहां आज भी चमत्कार देखने को मिलता है. ऐसे में आज हम आपको एक ऐसे सिद्धपीठ दुर्गा मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां दैवीय शक्ति के आगे आधी दुनिया पर राज करने वाले बिटिश हुकूमत के अंहकारी अंग्रेजों ने भी घुटने टेक दिए थे. आइए जानते हैं इस मंदिर के चमत्कारी घटनाओं और इतिहास के बारे में…
दरअसल, हम बात कर रहे हैं, देवरहा बाबा की तपोभुमि देवरिया जिले के अहिल्यापुर में स्थित सिद्धपीठ दुर्गा मंदिर की, जहां आधी दुनिया पर राज करने वाले अंग्रेजी शासन को भी “आदि शक्ति माँ दुर्गा” के समक्ष शीश झुकाना पड़ा था. स्थानीय लोगों की मानें तो सदियों पुराने इस मंदिर से जुड़ा इतिहास भी कम दिलचस्प नहीं है. स्थानीय निवासी नीरज शुक्ला के अनुसार देवी की शक्ति के आगे फिरंगी हुकूमत को भी को भी घुटने टेकने पड़े थे.
जानिए इस मंदिर का इतिहास
बता दें कि गोरखपुर से बनारस और बिहार की ओर जाने वाले रेलवे ट्रैक पर अहिल्यापुर रेलवे स्टेशन स्थित है. वहीं, अहिल्यापुर स्थित मां दुर्गा के मंदिर से थोड़े दूर से एक रेलवे लाइन गुजरती है. स्थानीय लोगों की मानें तो तकरीबन 100 साल पहले जब अंग्रेजों द्वारा इस रूट पर मीटर गेज लाइन का निर्माण चल रहा था. उस समय अंहकारी अंग्रेज अधिकारियों ने फैसला ले लिया कि रेलवे लाइन इस मंदिर से होकर गुजरेगी. जबकि स्थानीय लोगों ने अंग्रेज अधिकारियों से रेलवे ट्रैक को मंदिर से थोड़ी दूर से ले जाने का आग्रह किया, लेकिन अंग्रेजों के कान पर जूं तक नहीं रेंगी.
जानिए इस मंदिर का चमत्कार
इसके बाद अंग्रेज अधिकारियों ने रेलवे लाइन वहीं से गुजारने का बाकायदा फरमान भी जारी कर दिया. इसके बाद मां दुर्गा के प्राकट्य पिंडी के ठीक उपर से रेलवे पटरी बनाने का काम शुरू हो गया. वहीं अंग्रेज अधिकारियों के उस वक्त होश उड़ गए, जब शाम को बिछाई गई पटरियां सुबह अपने-आप क्षतिग्रस्त मिलीं. पहले तो अंग्रेजों ने इसे किसी ग्रामीण की शरारत माना और आम लोगों को परेशान करने लगे, लेकिन बावजूद इसके दुबारा से बिछाई गई पटरियां भी अगले दिन टूटी हुई अवस्था में मिलीं. इस घटना का क्रम लगातार जारी रहा. महीनों तक पटरियां बिछाने का कार्य चलता रहा दिन भर पटरिया बिछाई जाती रात में सब अस्त व्यस्त मिलता.
बिट्रिश अधिकारियों ने टेक दिए घुटने
अंग्रेज अफसरों को शक था कि स्थानीय लोग ऐसा कर रहे हैं, इसलिए उन्होंने रात में रुकने का मन बनाया. इस दौरान तत्कालीन इंजीनयर को माता जी का स्वप्न दिखाई पड़ा. जिसमे मां भवानी ने उस अंग्रेज इंजीनयर को यह आदेश दिया की समय रहते रेल की पटरियों को कहीं दूसरे जगह स्थापित करो, अन्यथा गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे. अंग्रेज इंजीनियर ने बीते रात के स्वप्न का पूरा वृतान्त अपने वरिष्ट अधिकारियो को सुनाया. इसे सुन बिट्रिश अधिकारी भी दंग रह गए. मां भवानी की शक्ति के आगे अंग्रेज अफसरों ने भी घुटने टेक दिये और फिरंगी अफसरों ने रेल की पटरी को 100 मीटर दक्षिण विस्थापित करने का निर्णय लिया. यही वजह है कि वहां से होकर गुजरने वाली रेलवे लाइन तिरछी है.
यही नहीं तत्कालीन अंग्रेज अफसरों ने रेलवे ट्रैक के निर्माण की सफलता के लिए मां के मंदिर का जीर्णोद्धार भी कराया. तब जाकर रेल की पटरियां बिछाने का कार्य पूरा हुआ. वर्तमान में इस मंदिर में मां दुर्गा स्वयंभू पिंड के रूप में विराजमान हैं एवं पिंड के बगल में सिंहवाहिनी दुर्गा जी का प्राण प्रतिष्ठित विग्रह स्थापित है. ये मंदिर सिद्धपीठ देवरिया जनपद मुख्यालय से 8 किमी. की दूरी पर देवरिया- सलेमपुर मार्ग के मुण्डेरा बुजुर्ग चैराहा से उत्तर ग्रामसभा अहिल्वार बुजुर्ग से सटे स्थित रेलवे लाईन के उत्तर तरफ स्थित है.
नवरात्रि में लगती है भारी भीड़
वैसे तो अहिल्यापुर स्थित मां दुर्गा के दरबाहर में वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. लेकिन शारदीय और चैत्र नवरात्रि के दौरान लाखों की संख्या में भक्तजन यहां अपनी मनोकामना लेकर पहुंचते हैं. ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त मां के दरबार में सच्चे मन से अपनी मुराद रखता है, उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है.
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