Legend of Mahishasur Mardini: नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि के समाप्त होने पर अगले दिन यानी दशमी को विजयादशमी का त्योहार मनाया जाता है. देखा जाए तो इस पर्व का सीधा संबंध मां दुर्गा से है. इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसी दिन मां दुर्गा ने भी राक्षस महिषासुर का वध किया था. बता दें कि महिषासुर का वध करने के बाद मां दुर्गा को महिषासुर मर्दिनी कहा जाने लगा. ऐसे में आइए जानते हैं कि महिषासुर को मारने के लिए क्यों लेना पड़ा था मां दुर्गा को अवतार…..
महिषासुर को मिला था ब्रह्मा का वरदान
दरअसल, पौराणिक कथा के अनुसार दैत्यराज महिषासुर के पिता रंभ नाम का एक असुर था. रंभ को एक जल में रहने वाली भैंस से प्रेम हो गया. जिसके बाद रंभ और भैंस के योग से ही महिषासुर का जन्म हुआ. यही वजह था कि महिषासुर अपनी इच्छानुसार भैंस और इंसान का रूप बदल लेता था. कहा जाता है कि महिषासुर ने कठोर तपस्या कर सृष्टिकर्ता ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया था कि उस पर कोई भी देवता और दानव विजय प्राप्त न कर पाएं.
मां दुर्गा का अवतरण
वरदान प्राप्त होने के बाद महिषासुर स्वर्ग लोक में उत्पात मचाने लगा. एक बार महिषासुर ने स्वर्ग पर आक्रमण कर इंद्रदेव को परास्त कर दिया और स्वर्ग लोक पर कब्जा कर लिया. उसने सभी देवताओं को वहां से बाहर निकाल दिया. जिसके बाद सभी देवगण परेशान होकर त्रिमूर्ति ब्रम्हा, विष्णु और महेश के पास गए और अपनी समस्या बताई. लेकिन ब्रह्मा जी के वरदान के कारण स्वयं ब्रम्हा, विष्णु और महेश भी महिषासुर को हरा नहीं सकते थे. इसलिए सभी देवताओं ने महिषासुर को मारने के लिए मां दुर्गा का सृजन किया.
दशमी के दिन हुआ महिषासुर का वध
कहा जाता है कि त्रिदेवों के शरीर से शक्ति पुंज निकल कर एकत्रित हुए और इस शक्ति पुजं ने मां दुर्गा का रूप धारण कर लिया. सभी देवताओं नें मां दुर्गा को अपनी-अपनी शक्ति और अस्त्र-शस्त्र प्रदान किया. जिसके बाद मां दुर्गा ने महिषासुर से लगातार नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसका वध कर दिया. यही कारण है कि हिंदू धर्म में नौ दिनों तक दुर्गा पूजा मनाई जाती है. वहीं, दसवें दिन को विजयादशमी के नाम से जाना जाता है और इस दिन को पूरे धूम-धाम के साथ मनाया जाता है.