UP Politics: मध्य प्रदेश विधानसभा (MP Assembly Elections 2023) चुनाव में कांग्रेस-सपा (Samajwadi Party vs Congress) के बीच सीट बंटवारे को लेकर छिड़ी जंग थमने का नाम नहीं ले रही है. दोनों ही पार्टी के नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं. एमपी में कांग्रेस (Congress) का तर्क है कि वह जनाधार के आधार पर सीटों का बंटावारा करेगी. लेकिन यदि लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में सपा (Samajwadi Party) भी इसी फॉर्मूले को यूपी में अपनाती है तो यूपी में लोकसभा चुनाव के दौरान 20-21 सीटों पर कांग्रेस के लड़ने का दावा सिर्फ दावा बनकर रह जाएगा.
गौरतलब है कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी को हराने के लिए साथ आए और अब रणनीतियां भी बनती दिख रही हैं. लेकिन सीट बंटवारे को लेकर I.N.D.I.A गठबंधन में मतभेद दिखाई दे रहा है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव के रुख से स्पष्ट माना जा रहा है कि यूपी में जब I.N.D.I.A. गठबंधन सीटों पर बंटवारे की बात करेगा तो एमपी में कांग्रेस जिस फॉर्मूले को लागू कर रही है, वही अखिलेश यादव यूपी में भी लागू कर सकते हैं.
सपा को कमजोर करती है कांग्रेस
सपा नेता के मुताबिक ‘अखिलेश ने सबक सीखा कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में एसपी को कमजोर कर देती है और उन्होंने 2017 की तुलना में कहीं बेहतर प्रदर्शन करते हुए 2022 में उनसे किनारा कर लिया.’ कांग्रेस से अखिलेश की मौजूदा चिढ़ के पीछे 2017 का यह सबक है, जहां सपा नेता में कांग्रेस के ‘बड़े भाई’ वाले रवैये के लिए थोड़ी सहनशीलता विकसित हुई थी. लेकिन अब हालात ऐसे हो गए हैं कि समाजवादी पार्टी में कुछ लोग इस संभावना से भी इनकार नहीं कर रहे हैं कि यदि कांग्रेस के साथ नहीं बनी तो 2024 में अखिलेश यादव अमेठी और रायबरेली में उम्मीदवार उतारेंगे.”
सपा प्रवक्ता आईपी सिंह सोशल मीडिया प्लेफॉर्म एक्स पर लिखा कि ‘सपा अमेठी और रायबरेली में अपने उम्मीदवार उतारेगी. कांग्रेस को कन्नौज और आजमगढ़ में चुनाव लड़ना चाहिए. आपका दिल से स्वागत है. मैं बेटी हूं, मैं लड़ सकती हूं के नारे के बावजूद कांग्रेस बेअसर रही.’ सपा ने परंपरागत रूप से कांग्रेस के इन गढ़ों में उम्मीदवार नहीं उतारे हैं, जिससे उसे सीटें जीतने में मदद मिली है. लेकिन, 2019 में राहुल गांधी फिर भी अमेठी से बीजेपी की स्मृति ईरानी से हार गए.
क्या अखिलेश यादव लेंगे बदला?
बता दें कि यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय ने बीते दिन यह सवाल उछाला था कि यदि सपा यूपी में इतनी मजबूत थी तो पिछले साल आजमगढ़ लोकसभा उपचुनाव कैसे हार गई. जिस पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पलटवार करते हुए कहा कि उनका आजमगढ़ से भावनात्मक रिश्ता है, जैसे कांग्रेस का अमेठी और रायबरेली से है और उन्हें इस बात का ख्याल रखना चाहिए. कांग्रेस आगामी मध्य प्रदेश में सपा के लिए एक भी सीट नहीं छोड़ी. कांग्रेस ने इस बात पर जोर दिया कि गठबंधन केवल लोकसभा चुनावों के लिए है, राज्य चुनावों के लिए नहीं. अखिलेश यादव ने आगे कहा कि कांग्रेस को विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के गठन के समय ही यह बात साफ कर देनी चाहिए थी. ऐसे में अखिलेश यादव के कांग्रेस के प्रति इस नाराजगी से कहीं ना कहीं सप्षट हो रहा है कि अखिलेश यादव मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव का बदला उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के समय ले सकते हैं. जो कहीं ना कहीं ‘इंडिया’ गठबंधन को कमजोर करेगा.
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