MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में चुनाव की सरगर्मी अपने चरम पर पहुंच गई है. 17 नवंबर को मतदान होना है. प्रदेश की दोनों प्रमुख पार्टी बीजेपी और कांग्रेस द्वारा ज्यादात्तर सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी गई है. इस बीच कई ऐसी चीजें भी सामने आ रही हैं, जो विधानसभा चुनाव को बेहद दिलचस्प बना रही है. कई सीटों पर एक ही परिवार के प्रत्याशी आमने सामने हैं तो कई सीटों पर एक दूसरे के करीबी आमने-सामने हैं, लेकिन मालवा अंचल की एक विधानसभा सीट ऐसी है, जहां गुरू-चेला आमने सामने हैं. आइए जानते हैं इस सीट के बारे में…
जानिए कौन है वो सीट!
दरअसल, हम जिस सीट की बात कर रहे हैं वह है देवास जिले की बागली विधानसभा सीट, यह सीट मध्य प्रदेश की राजनीति में खास सीट मानी जाती है. इस बार बागली विधानसभा सीट का चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है. बता दें कि इस सीट से जहां बीजेपी ने सिटिंग विधायक पहाड़ सिंह कन्नौजे का टिकट काटकर सरस्वती शिशु मंदिर के प्राचार्य रहे मुरली भंवरा को टिकट दिया है. वहीं कांग्रेस ने बीजेपी उम्मीदवार के पढ़ाए हुए शिष्य गोपाल भोसले को प्रत्याशी बनाया है. गुरु शिष्य की यह चुनावी लड़ाई इस समय प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है.
जानिए किसने किसको पढ़ाया?
देवास जिले की बागली विधानसभा सीट पर गुरु-शिष्य सियासी दंगल में कूदे हुए हैं. गुरु और शिष्य दोनों विधानसभा में अपना वजूद खड़ा करने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं. मीडिया रिपोर्ट से मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी प्रत्याशी मुरली भंवरा ने कांग्रेस प्रत्याशी गोपाल भोसले को कक्षा छठवीं में पढ़ाया है. बीजेपी प्रत्याशी मुरली भंवरा सरस्वती विद्या मंदिर डोंगला उज्जैन के प्राचार्य थे. वे संघ से जुड़े हैं. भंवरा ने बागली के सरस्वती शिशु मंदिर में भी पढ़ाया है. वहीं गोपाल भोसले कांग्रेस में सक्रियता से राजनीति करते रहे हैं, ऐसे में कांग्रेस ने उन्हें इस बार टिकट दिया है.
जानिए इस सीट का इतिहास
बता दें कि 1952 के बाद पहली बार भाजपा ने किसी बागली के स्थानीय निवासी को उम्मीदवार बनाया है. सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी इस सीट से आठ बार विधायक रह चुके हैं. वहीं कैलाश जोशी के बेटे पूर्व मंत्री दीपक जोशी भी यहां से विधायक रहे चुके हैं. बागली विधानसभा सीट से कांग्रेस को अब तक सिर्फ एक बार जीत मिली है. 1998 में कांग्रेस के प्रत्याशी श्याम होलनी यहां से चुनाव जीतकर विधायक बने थे. इसके बाद से कांग्रेस को 20 साल से इस सीट पर जीत का इंतजार है. अब देखना है कि इस बार विधानसभा चुनाव में गुरु-शिष्य में कौन-किस पर भारी पड़ता है.
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