BJP Master Plan: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में बीजेपी दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रही है. तीन राज्यों में जीत के बाद लाए गए नए चेहरे को एक्सपर्ट सियासी प्रयोग बता रहे हैं. जहां विपक्षी दल एकत्र होकर मोदी सरकार को हराने में लगे हैं, तो वहीं, दूसरी ओर बीजेपी मानो पार्टी संगठन को और मजबूती देते हुए अगले दशक नहीं, बल्कि अगले 50 सालों में पार्टी के भविष्य का मास्टर प्लान बना रही है. आइए समझते हैं बीजेपी के राजनीतिक समीकरण को…
लंबी राजनीति के संकेत
दरअसल, भारतीय जनता पार्टी में प्रयोग की परंपरा पुरानी है. इस पार्टी में आए दिन कोई न कोई प्रयोग देखने को मिलता है. हाल ही में यह प्रयोग तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव में जीत के बाद देखने को मिला है. जहां बीजेपी ने ऐसे लोगों के हाथ में सत्ता के की जिम्मेदारी दी है, जिसके बारे में लोगों ने दूर-दूर तक सोचा नहीं था. राजनीतिक एक्सपर्ट की मानें तो बीजेपी द्वारा लाए जा रहे नए चेहरे कहीं ना कहीं लंबे समय की राजनीति के संकेत हैं. जिसे संघ की सोच और मोदी-शाह की सहमति के बाद उठाया गया कदम बताजा जा रहा है.
RSS और BJP की रणनीति को देखा जाए तो पार्टी का हर फैसला संघ के मंथन से होता है. जिसका नतीजा हाल ही के चुनाव में देखने को मिला. तीनों राज्यों में चुने गए सीएम संघ के समर्पित कार्यकर्ता हैं. जहां आगामी लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर विपक्षी दल चुनावी लड़ाई में इस बार मिलकर किस्मत आजमाने जैसे पुराने तरीकों को अपना रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मोदी खुद की खींची लकीर को और बड़ा करते हुए 2047 की बात कर रहे हैं.
50 सालों का मास्टर प्लान
गौरतलब है कि पीएम मोदी अपने पहले कार्यकाल 2014 में स्वच्छ भारत मिशन से शुरुआत करते हुए अब अपना फोकस ‘विकसित भारत’ बनाने पर पहुंचा दिए हैं. पीएम मोदी ने दूसरे कार्यक्राल के दौरान ‘विकसित भारत’ के रोड मैप का खाका खींच दिया. विकसित भारत संकल्प यात्रा से न सिर्फ पार्टी को मजबूती मिल रही है, बल्कि इसे एक्सपर्ट 50 सालों में पार्टी के भविष्य का मास्टर प्लान बता रहे हैं.
दूसरी पंक्ति के नेताओं को आगे लाने का सिसासी प्रयोग
बीजेपी द्वारा विधानसभा चुनाव में मिली बड़ी सफलता के बाद पार्टी द्वारा सभी नए चेहरे को मौका दिया गया है. इसको लेकर कई सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मुख्यमंत्री और उप मुखमंत्री के तौर पर आदिवासी, ओबीसी, दलित, ब्राह्मण और राजपूत चेहरों को जिम्मेदारी सौंपी हैं. जिसको लेकर माना जा रहा है कि इससे बीजेपी ने सभी वर्ग के लोगों को साधने की कोशिश की है. वहीं, पार्टी द्वारा नए चेहरे को आगे लाने को लेकर यह भी कहा जा रहा है कि BJP ने इसके जरिए दूसरी पंक्ति के नेताओं को आगे लाने का सियासी प्रयोग किया है. RSS और BJP की रणनीति को देखा जाए तो उसने आने वाले सालों के लिए नई लीडरशिप तैयार कर ली है. जो लंबे समय की राजनीति के संकेत हैं.
नए लोगों को मिल रहा मौका
इसके अलावा एक और नजरिए से देखा जाए तो यह भी मायने निकलकर सामने आ रहे हैं कि बीजेपी द्वारा क्षत्रपों के महत्व को कम कर नए लोगों को मौका दिया जा रहा है. ऐसे में तीनों राज्यों में बीजेपी द्वारा नए चेहरे को लाना कहीं ना कहीं बीजेपी कार्यकर्ताओं में जोश भी भरेगा, कि आने वाले दिनों में अगर वो भी पार्टी के लिए तन-मन से काम करते हैं तो कभी भी बड़े पदों की जिम्मेदारी मिल सकती है.
2024 में मिलेगा नए चेहरे का लाभ
बीजेपी द्वारा तीन राज्यों में लाए गए नए चेहरे के समीकरण से देखा जाए तो इसका लाभ भारतीय जनता पार्टी को 2024 में मिलेगा. ब्राह्मणों और बनियों की पार्टी कही जाने वाली BJP ने तीनों राज्यों में तीन वर्ग से सीएम चेहरे को लाकर ना सिर्फ अपनी पुरानी छवि से बाहर आने की कोशिश की है, बल्कि सामान्य से लेकर पिछड़े, दलित-एसटी वर्ग को लुभाने की कोशिश की है. सियासी मायने से देखा जाए तो बीजेपी और संघ आगे की दस पंद्रह सालों की राजनीति पर फोकस कर रहे हैं.
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