कौन हैं D-voters… जिनके पास भारत में रहकर भी नहीं है मतदान का अधिकार?

Raginee Rai
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Lok Sabha Election 2024, D-Voters: देशभर में लोकसभा चुनाव चल रहे हैं. लोकसभा के तीन चरणों की वोटिंग पूरी हो चुकी है.  आज, 13 मई को चौथे चरण की वोटिंग चल रही है. चुनाव को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है. लेकिन क्‍या आप जानते हैं कि देश में कुछ लोग ऐसे भी रहते हैं जिनके पास वोट डालने का अधिकार नहीं है. इन मतदाताओं को डी वोटर कहा जाता है. डी-वोटर यानी डाउटफुल (संदिग्ध) वोटर होता हैं.

कौन होते हैं डी-वोटर? 

नॉर्थ ईस्‍ट में बसे असम राज्‍य में एक अलग ही कैटेगरी के मतदाता रहते हैं. असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के निर्माण के दौरान, जिनकी नागरिकता को लेकर सवाल थे या उनपर संदेह था, उन्हें डी-वोटर कहा जाता है. दरअसल ये ऐसे मतदाता होते हैं, जो अपनी नागरिकता को अभी तक प्रुफ नहीं कर पाए हैं, इसलिए ये संदिग्ध नागरिकता में आते हैं.  इनको अभी तक मतदान करने का अधिकार नहीं दिया गया है. असम में इन संदिग्‍ध मतदाताओं की कुल संख्‍या 1 लाख से भी ज्‍यादा बताई जाती है. बता दें कि असम में डी-वोटर एक बड़ा मुद्दा है.

कब चलाई गई मुहिम?

भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने साल 1997 में विदेशी नागरिकों की पहचान करने के लिए एक मुहिम चलाई.  जिसके तहत उन लोगों के नाम रजिस्टर किए गए थे, जिनकी नागरिकता पर संदेह था. तत्कालीन सरकार ने 24 मार्च 1971 की एक तारीख तय की और कहा कि इससे पहले जो लोग भारत में आए वह वैध नागरिक माने जाएंगे और जो लोग इसके बाद भारत आए, उन्हें अवैध नागरिक माना जाएगा.

भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने फॉरेनर ट्रिब्यूनल ऑर्डर को पारित किया था, जोकि 1964 में आया था. इसमें देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जिला मजिस्ट्रेट को यह अधिकार सौंपा गया कि वह यह तय कर सकते हैं कि कौन वैध नागरिक (भारतीय) है और कौन अवैध (विदेशी). इस मुहिम के बाद इस संदिग्‍ध लोगों के नाम के आगे डी लगा दिया गया.

अन्य सरकारी योजनाओं के लाभ से भी वंचित हैं डी-वोटर

डी वोटर्स को न केवल वोट डालने का हक नहीं मिला, बल्कि अन्य योजनाओं का लाभ भी नहीं मिलता है. ये लोग पैसे की समस्या से तो पीड़ित हैं ही, इसके साथ ही सरकार की  योजनाओं का लाभ भी नहीं उठा पाते हैं. यही कारण है कि डी वोटर्स जहां-जहां पाए जाते हैं, वहां उनकी हालत बद से बदतर है. इन लोगों को रोटी, कपड़ा और मकान के लिए मशक्कत करनी पड़ती है.

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