लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका, पार्टी के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने दिया इस्तीफा; जानिए वजह

Shubham Tiwari
Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Gaurav Vallabh Resigned: लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा है. बता दें कि कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. यह जानकारी खुद गौरव वल्लभ ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट कर दी है. जिसमें उन्होंने कांग्रेस पार्टी पर दिशाहीनता का आरोप लगाया है.

बताई ये वजह

कांग्रेस प्रवक्त गौरव वल्लभ ने पार्टी पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए इस्तीफा दिया है. साथ ही उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने बायो से कांग्रेस को भी हटा दिया है. गौरव वल्लभ ने लिखा कि कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है, उसमें मैं ख़ुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा. मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता. इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहा हूं.

जानिए गौरव वल्लभ ने क्यों दिया इस्तीफा?

कांग्रेस से इस्तीफे के ऐलान के लिए गौरव वल्लभ ने एक लेटर भी लिखा है. उसमें गौरव वल्लभ ने विस्तार से बताया है कि उनके त्यागपत्र की वजह क्या है. अपने इस्तीफे में गौरव वल्लभ ने लिखा कि भावुक हूं. मन व्यथित है. काफी कुछ कहना चाहता हूं, लिखना चाहता हूं, बताना चाहता हूं. लेकिन, मेरे संस्कार ऐसा कुछ भी कहने से मना करते हैं जिससे दूसरों को कष्ट पहुंचे. फिर भी मैं आज अपनी बातों को आपके समक्ष रख रहा हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि सच को छुपाना भी अपराध है, और मैं अपराध का भागी नहीं बनना चाहता. महोदय, मैं वित्त का प्रोफेसर हूं. कांग्रेस पार्टी की सदस्यता हासिल करने के बाद पार्टी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया. कई मुद्दों पर पार्टी का पक्ष दमदार तरीके से देश की महान जनता के समक्ष रखा. लेकिन पिछले कुछ दिनों से पार्टी के स्टैंड से असहज महसूस कर रहा हूं.

कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी

गौरव वल्लभ ने लिखा कि जब मैंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की तब मेरा मानना था कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है. जहां पर युवा, बौद्धिक लोगों की, उनके आइडिया की कद्र होती है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मुझे यह महसूस हुआ कि पार्टी का मौजूदा स्वरूप नए आइडिया वाले युवाओं के साथ खुद को एडजस्ट नहीं कर पाती. पार्टी का ग्राउंड लेवल कनेक्ट पूरी तरह से टूट चुका है, जो नए भारत की आकांक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही है. जिसके कारण न तो पार्टी सत्ता में आ पा रही और ना ही मजबूत विपक्ष की भूमिका ही निभा पा रही है. इससे मेरे जैसा कार्यकर्ता हतोत्साहित होता है. बड़े नेताओं और जमीनी कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी पाटना बेहद कठिन है जो कि राजनीतिक रूप से जरूरी है.

मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं…

गौरव वल्लभ ने आगे लिखा कि जब तक एक कार्यकर्ता अपने नेता को डायरेक्ट सुझाव नहीं दे सकता तब तक किसी भी प्रकार का सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है. धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः तस्माधर्मो न हन्तव्यो मा नो धर्मो हतोऽवधीत्॥ अयोध्या में प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा में कांग्रेस पार्टी के स्टैंड से मैं क्षुब्ध हूं. मैं जन्म से हिंदू और कर्म से शिक्षक हूं, पार्टी के इस स्टैंड ने मुझे हमेशा असहज किया, परेशान किया. पार्टी व गठबंधन से जुड़े कई लोग सनातन के विरोध में बोलते हैं, और पार्टी का उसपर चुप रहना, उसे मौन स्वीकृति देने जैसा है.

गलत दिशा में आगे बढ़ रही पार्टी

गौरव वल्लभ ने कहा कि इन दिनों पार्टी गलत दिशा में आगे बढ़ रही है. एक ओर हम जाति आधारित जनगणना की बात करते हैं, वहीं दूसरी ओर संपूर्ण हिंदू समाज के विरोधी नजर आ रहे हैं, यह कार्यशैली जनता के बीच पार्टी को एक खास धर्म विशेष के ही हिमायती होने का भ्रामक संदेश दे रही है. यह कांग्रेस के मूलभूत सिद्धांतों के खिलाफ है

क्या बिजनेस करके पैसा कमाना गलत है?

आर्थिक मामलों पर वर्तमान समय में कांग्रेस का स्टैंड हमेशा देश के वेल्थ क्रिएटर्स को नीचा दिखाने का, उन्हें गाली देने का रहा है. आज हम उन आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण व वैश्वीकरण (LPG) नीतियों के खिलाफ हो गए हैं जिसको देश में लागू कराने का पूरा श्रेय दुनिया ने हमें दिया है. देश में होने वाले हर विनिवेश पर पार्टी का नजरिया हमेशा नकारात्मक रहा. क्या हमारे देश में बिजनेस करके पैसा कमाना गलत है?

इस वजह से ज्वाइन किया था कांग्रेस

जब मैंने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी, उस वक्त मेरा ध्येय सिर्फ यही था कि आर्थिक मामलों में अपनी योग्यता व क्षमता का देशहित में इस्तेमाल करूंगा. हम सत्ता में भले नहीं हैं, लेकिन अपने मेनिफेस्टो से लेकर अन्य जगहों पर देशहित में पार्टी की आर्थिक नीति-निर्धारण को बेहतर तरीके से प्रस्तुत कर सकते थे. लेकिन, पार्टी स्तर पर यह प्रयास नहीं किया गया, जो मेरे जैसे आर्थिक मामलों के जानकार व्यक्ति के लिए किसी घुटन से कम नहीं है.

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