Lok Sabha Election 2024: यूपी की एक ऐसी लोकसभा सीट, जहां कभी नहीं खुला सपा-बसपा का खाता

Abhinav Tripathi
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Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Lok Sabha Chunav 2024: देश में लोकसभा चुनाव के लिए कुल 4 चरणों की वोटिंग संपन्न हो गई है. अब 3 और चरणों की वोटिंग बची है. अभी तक देश के कुल 379 लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुके हैं. अब पांचवे चरण की वोटिंग 20 मई को होगी. 5वें चरण में एक ऐसी सीट पर भी वोटिंग होनी है, जहां पर कभी भी सपा या बसपा ने जीत हासिल नहीं की है. ये सीट पहले कांग्रेस के खाते में थी. वहीं, पिछले 4 दशकों से बीजेपी का कब्जा है.

दरअसल, हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश की लखनऊ लोकसभा सीट की. इस सीट को लेकर खास बात है कि यूपी की सत्ता में कई बार सपा और बसपा की सरकार रही, लेकिन कभी भी इन दोनों दलों को इस लोकसभा सीट पर विजय प्राप्त नहीं हुई. देश में हुए पहले लोकसभा चुनाव से लेकर 17वीं लोकसभा चुनाव तक इस सीट पर पहले कांग्रेस का कब्जा रहा, उसके बाद 1991 से अब तक बीजेपी का कब्जा रहा है. बीजेपी ने साल 1991 में इस सीट पर जीत हासिल की थी, इसके बाद से यहां पर बीजेपी ही जीतती आई है.

1991 से बीजेपी को मिलती आई है जीत

जानकारी दें कि साल 1991 में हुए लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी यहां से चुनाव जीते थे. इसके बाद से वह लगातार इस सीट से 5 बार लोकसभा चुनाव जीते. 1991 में पहली बार यहां से सांसद चुने गए. फिर 1996, 1998, 1999 और 2004 में सांसद बने. इसके बाद साल 2009 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी के लालजी टंडन ने इस सीट से जीत हासिल की. उसके बाद साल 2014 में राजनाथ सिंह यहां से सांसद चुने गए थे. वहीं, साल 2024 के चुनाव में भी केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ही बीजेपी की ओर से चुनावी मैदान में हैं.

साल 2019 का लोकसभा चुनाव

साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी राजनाथ सिंह ने लखनऊ लोकसभा सीट से करीब 3.50 लाख वोटों से जीत हासिल की थी. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा ने शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा को चुनावी मैदान में उतारा था. वहीं, कांग्रेस की ओर से आचार्य प्रमोद कृष्णन ने चुनाव लड़ा था.

इसी के साथ साल 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान राजनाथ सिंह ने लखनऊ में कांग्रेस की उम्मीदवार रहीं रीता बहुगुणा जोशी को करीब 2.73 लाख वोटों से हराया था. हालांकि, रीता बहुगुणा जोशी बाद में बीजेपी में शामिल हो गई थी. बीजेपी ने साल 2019 के लोकसभा चुनाव में उनको प्रयागराज से चुनावी मैदान में उतारा था.

कौन बना था इस सीट से पहली बार सांसद

अगर लखनऊ लोकसभा सीट के इतिहास की बात करें तो 1952 में यहां से प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बहन विजया लक्ष्मी पंडित सांसद चुनी गई थीं. इसके बाद साल 1955 के उपचुनाव के दौरान नेहरू परिवार की ही शेवराजवती नेहरू. साल 1957 में पुलीन बेहरा बनर्जी, 1962 में बीके धावन, 1967 में आनंद नारायण मुल्ला, 1971 में शीला कौल लखनऊ से सांसद बने. ये सभी प्रत्याशी कांग्रेस के थे.

इसके बाद साल 1975 के आपतकाल के बाद साल 1977 में हुए आम चुनाव में लगभग पूरे उत्तर भारत से कांग्रेस का सफाया हो गया था. साल 1977 के चुनाव में लखनऊ से जनता पार्टी के टिकट पर हेमवती नंदन बहुगुणा सांसद बने. हालांकि, साल 1980 में फिर से कांग्रेस ने वापसी की और लगातार दो चुनावों 1980 और 1984 में यहां से कौल सांसद चुनी गईं. वहीं, साल 1989 में एक बार फिर जनता दल मंधता सिंह सांसद बनीं. वहीं, इसके बाद साल 1991 में हुए चुनाव में बीजेपी ने यहां पर जीत हासिल की और आज तक बीजेपी का कब्जा रहा है.

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