MP Election Fact Analysis: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की है. चुनाव परिणाम के बाद अब इनका विश्लेषण होने लगा है. इस विश्लेषण के माध्यम से यह पता चला है कि 15 विधानसभा सीटों पर नोटा ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों का खेल बिगाड़ा है. यहां पर बीजेपी-कांग्रेस के हार-जीत के अंतर से ज्यादा नोटा को वोट मिला है. अगर ये वोट नोटा पर ना जाकर किसी एक पार्टी के प्रत्याशी को जाती तो उसकी किस्मत पलट सकती है. आइए जानते हैं नोटा ने किन किन सीटों पर किस किस पार्टी का खेल बिगाड़ा है.
समझिए समीकरण
दरअसल, हम जो नोटा (NOTA) को लेकर आकड़े आएं हैं, इसमें मध्य प्रदेश के 15 विधानसभा सीटों के आकड़ेें हैं. इन सीटों पर नोटा ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों की पार्टी के प्रत्याशियों का खेल बिगाड़ा है. क्योंकि यहां हार-जीत के अंतर से अधिक नोटा को वोट पड़े हैं. बताते चलें कि हम जो आकड़े लाए हैं, उसमें 10 सीटों पर कांग्रेस और 5 सीटों पर बीजेपी के नेता को नोटा की चोट का सामना करना पड़ा है. देखिए इन सीटों के दिलचस्प आकड़ें-
इन 5 सीटों पर BJP का खेल बिगड़ा
विधानसभा
- मांंधाता जीत/हार का अंतर 589 – NOTA – 1544
- धरमपुरी जीत/हार का अंतर 356 – NOTA – 2455
- शााजापुर जीत/हार का अंतर 281 – NOTA – 534
- गुन्नौर जीत/हार का अंतर 1160 – NOTA – 2012
- सोहागपुर जीत/हार का अंतर 1762 – NOTA – 2362
इन 10 सीटों पर कांग्रेस का खेल बिगड़ा
विधानसभा
- भीकनगांव जीत/हार का अंतर 603 – NOTA – 1799
- राजपुर जीत/हार का अंतर 890 – NOTA – 1683
- मनावर जीत/हार का अंतर 708 – NOTA – 1814
- महिदपुर जीत/हार का अंतर 290 – NOTA – 1417
- सेंधवा जीत/हार का अंतर 1677 – NOTA – 5098
- थांदला जीत/हार का अंतर 1340 – NOTA – 3108
- गोहद जीत/हार का अंतर 697 – NOTA – 790
- हरदा जीत/हार का अंतर 870 – NOTA – 2375
- सेमरिया जीत/हार का अंतर 637 – NOTA – 1068
- टिमरनी जीत/हार का अंतर 950 – NOTA – 2561
जानिए कब हुआ था नोटा का सबसे पहले प्रयोग
आपको बता दें कि नोटा का इस्तेमाल सबसे पहले साल 2013 में 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव में हुआ था. नोटा का इस्तेमाल वे मतदाता करते हैं, जो किसी पार्टी या उम्मीदवार को पसंद नहींं करते हैं. नोटा की सरकार बनाने या खेल बिगाड़ने में अहम भूमिका रही. इस साल 2023 विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश में कुल 77.15 प्रतिशत मतदान हुआ. जिसमें 0.98 प्रतिशत नोटा के हिस्से में गए. वहीं बात करें पिछले आकड़ों की तो मध्य प्रदेश में 2013 में 1.90, 2018 में 1.42 और 2023 में 0.98 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुना. नोटा की वजह से कई विधानसभा सीटों पर देखने को मिलता है कि जीतने हारने वाले प्रत्याशी के मार्जिन से ज्यादा वोट नोटा को चले जाते हैं.
ये भी पढ़ें-
BJP Parliamentry Meeting: संसदीय दल की बैठक में बोले PM मोदी, सभी की होनी चाहिए जय-जयकार…
‘मैं मोदी हूं, मुझे मोदी जी कहकर ना बुलाएं’, BJP संसदीय दल की बैठक में पीएम का संदेश, जानिए मायने
गृह मंत्री अमित शाह का कांग्रेस पर निशाना, कश्मीरी पंडितों को लेकर कही ये बड़ी बात