Lata Mangeshkar Death Anniversary: ताउम्र कुंवारी ही रहीं लता मंगेशकर, आखिर क्यों नहीं की शादी? जानिए

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Lata Mangeshkar Death Anniversary 2024: आज यानी 6 फरवरी को लता मंगेशकर की पुण्‍यतिथि मनाई जाती है. भारत की स्‍वर साम्राज्ञी, बुलबुले हिंद और स्‍वर कोकिला जैसे नामों से पहचानी जाने वाली लता मंगेशकर भले ही आज इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज हमेशा अटल रहेगी. लता मंगेशकर अपने गानों के जरिए हमेशा फैंस के दिलों में जिंदा रहेंगी. स्‍वर कोकिला का जन्‍म 28 सितंबर 1929 में इंदौर में हुआ था. कोविड के कारण साल 2022 में आज ही के दिन लता दीदी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. लता मंगेशकर का जीवन उपलब्धियों से भरा रहा है. आइए उनके पुण्‍यतिथि पर जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ बातें, जिसके बारे में शायद ही आपको मालूम हो.

आखिर क्यों नहीं की लता दीदी ने शादी?

स्‍वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ताउम्र कुंवारी ही रह गईं. उन्होंने कभी शादी नहीं की. उनकी शादी को लेकर कहा जाता है कि वो किसी से प्यार करती थीं, लेकिन उनकी प्रेम कहानी अधूरी रह गई. कई रिपोर्ट्स में कहा गया कि लता दीदी डूंगरपुर राजघराने के महाराजा राज सिंह से प्यार करती थी. महाराजा लता मंगेशकर के भाई ह्रदयनाथ मंगेशकर के दोस्त थे. राज ने अपने माता-पिता से वादा किया था कि वो किसी आम घराने की लड़की से शादी नहीं करेंगे. इसी कारण वो लता मंगेशकर से दूर रहे और उनसे शादी नहीं की.

राज ने भी कभी नहीं की शादी

वैसे कहा जाता है कि लता की तरह ही राज ने भी कभी शादी नहीं की. कहते हैं कि लता मंगेश्कर को राज प्यार से मिट्ठू बुलाते थे. वो उनके गाने सुनना भी काफी पसंद करते थे. राज सिंह लता मंगेशकर की तरह ही क्रिकेट के शौकीन थे. लता से 6 साल बड़े महाराजा राज सिंह की मौत वर्ष 2009 में हो गई थी.

वहीं, इंटरव्यू के दौरान लता मंगेशकर ने कहा कि उनके शादी न करने की वजह उनकी जिम्मेदारियां हैं. दरअसल, जब लता 13 साल की थीं तो उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर की मौत हो गई थी. इसके बाद घर की पूरी जिम्मेदारी उन्‍हीं के कंधो पर थी. बता दें कि लता मंगेशकर पांच भाई-बहन हैं. मीना खांडिकर, आशा भोंसले, उषा मंगेशकर और हृदयनाथ मंगेशकर, ये सभी लता मंगेशकर से छोटे थे. वे अपने घर की बड़ी बेटी थीं.

रॉयल अल्बर्ट हॉल में प्रदर्शन करने वाली पहली भारतीय

लता दीदी को यूं ही नारी शक्ति की मिसाल नहीं कहा जाता है. वर्ष 1974 में वह रॉयल अल्बर्ट हॉल में प्रदर्शन करने वाली पहली भारतीय बनीं. उनकी उपलब्धियां इतनी थीं कि उसी साल गिनीज रिकॉर्ड में उनका नाम दर्ज हुआ. उन्हें भारतीय संगीत के इतिहास में सबसे अधिक दर्ज की गई कलाकार होने का गौरव प्राप्‍त हुआ. उन्होंने हिंदी सहित 36 भाषाओं में 50 हजार से अधिक गानों में अपनी आवाज दी.

लता मंगेशकर की उपलब्धियां

स्वर कोकिला लता दीदी को वर्ष 1970 में सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक का फिल्मफेयर अवार्ड मिला. साल 1972 में फिल्म परिचय के गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया. 1974 में फिल्म कोरा कागज के गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्‍मानित किया गया. इसके बाद 1977 में जैत रे जैत के लिए सर्वश्रेष्ठ गायिका और 1989 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिला. 1990 में फिल्म लेकिन के गीतों के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्‍मानित किया गया.

देश के सर्वोच्च पुरस्कार

1989 में लता मंगेशकर को पद्म विभूषण, 1990 में श्री राजा लक्ष्मी फाउंडेशन चेन्नई द्वारा पुरस्कार, 2000 में आइफा लाइफस्टाइल अचीवमेंट अवार्ड, 2001 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया. वर्ष 2001 में महाराष्ट्र रत्न, 2002 में आशा भोंसले पुरस्कार, 2004 में फिल्मफेयर विशेष पुरस्कार, 2007 में फ्रांस सरकार ने उन्हें सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार (ऑफिसर ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर) से नवाजा गया.

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