आप भी करते है पैक्ड फूड का सेवन, हो जाएं सावधान, इन जानलेवा बीमारियों का हो सकता है खतरा

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Chemical Side Effects: इन दिनों दुनियाभर में बढ़ती क्रोनिक बीमारियां गंभीर चिंता का विषय बनी हुई हैं. दिन प्रतिदिन इस बीमारी से संबंधित समस्‍याएं बढ़ती जा रही है. पहले ये स्वास्थ्य समस्याओं को उम्र बढ़ने के साथ होने वाली दिक्कतों को रूप में जाना जाता था, लेकिन आज के समय में यह युवाओं और बच्चों में भी देखी जा रही हैं. वहीं, इस संबंध में किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि इस समस्‍या के लिए कई तरह के पर्यावरणीय और आहार में गड़बड़ी वाले कारक जिम्मेदार हैं.

वैज्ञानिकों ने बताया कि आज के समय में रोजाना जानें अंजानें में हम सभी खान-पान के माध्यम कई प्रकार के रसायनों को निगल रहे हैं, मुख्यरूप से पैक्ड फूड वाली प्लास्टिक की थैलियों, बोतलों, कंटेनर और प्लास्टिक बैग के माध्यम से रसायन और माइक्रोप्लास्टिक हमारे शरीर में पहुंच रहे हैं. जिनसे सेहत को गंभीर खतरा हो सकता है. ऐसे में शोधकर्ताओं का कहना है कि इनमें से कई कैंसर, स्थाई आनुवंशिक परिवर्तन, प्रजनन प्रणाली में गड़बड़ी और शरीर में विषाक्तता बढ़ाने वाले हो सकते हैं.

14,000 से अधिक रसायनों की पहचान

एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने भोजन के संपर्क में आने वाले तकरीबन 14,000 से अधिक अलग-अलग रसायनों-यौगिकों की पहचान की है, जिनमें से करीब 3,601 मानव शरीर में पाए गए हैं. इसे फूड कॉन्टैक्ट कैमिकल (एफसीसी) का लगभग 25 प्रतिशत माना जा रहा है. वहीं, इसमें शामिल ज्‍यादातर रसायनों के बारे में बहुत ज्यादा पता भी नहीं है कि ये हमारे शरीर को किस-किस तरह से नुकसान पहुंचा सकते हैं? ज्यादातर ज्ञात रसायनों को कैंसर कारक और प्रजनन विकारों के लिए जिम्मेदार पाया गया है.

 अधिकतर रसायनों के बारे में जानकारियों की कमी

शोधकर्ताओं के मुताबिक, प्लास्टिक की थैलियों, बोतलों, कंटेनर के जरिए शरीर में कई प्रकार के मेटेल, कीटनाशक और वाष्पशील कार्बनिक यौगिक भी पाए जो सांस के साथ शरीर में जा सकते हैं. साथ ही फथलेट्स रसायन को लेकर भी चिंता जताई गई है, जिनका इस्‍तेमाल प्लास्टिक, परफ्यूम-डियोड्रेंट और व्यक्तिगत देखभाल उत्पादों को बनाने के लिए किया जाता है. वहीं, इंसानों के शरीर में पाए जाने वाले एफसीसी के बारे में जानने की कोशिश की तो पता चला कि कई रसायनों और यौगिकों के दुष्प्रभावों के बारे में अभी काफी जानकारियों का अभाव है.

क्या कहते हैं शोधकर्ता?

शोधकर्ताओं ने बताया, मनुष्यों में एफसीसी का पता लगाने के लिए रक्त, मूत्र, त्वचा और स्तन के दूध के सैंपलों की जांच की गई है. इसके अलावा, खाद्य पैकेजिंग फोरम में वरिष्ठ वैज्ञानिक और अध्ययन के प्रमुख लेखक बिरगिट ग्यूके ने बताया कि ये शोध खाद्य पदार्थों के संपर्क में आने वाले रसायनों और इसके मानव स्वास्थ्य पर जोखिम के बीच संबंध स्थापित करने में मदद करता है.

ऐसे में इनके कई खतरनाक प्रभाव हो सकते हैं. वहीं, अभी भी कई रसायन-यौगिक हैं, जिनका परीक्षण होना बाकी है. वहीं, शोधकर्ताओं का कहना है कि ये दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म देने वाली समस्या हो सकती है. ऐसे में इन्हें प्रतिबंधित करना आवश्‍यक है.

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