Ayodhya Ram Mandir: रामनगरी में राम मंदिर का निर्माण काफी तेजी से चल रहा है. 22 जनवरी को रामलला अपने भव्य राम मंदिर में विराजमान हो जाएंगे. इस बीच राम मंदिर से जुड़ी जानकारी सामने आई दै. दरअसल, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) ने राम जन्मभूमि को लेकर एक अध्ययन के बारे में जानकारी साझा की. अध्ययन के मुताबिक पता चला कि रामनगरी की चमक दमक मुगल साम्राज्य से काफी पहले की है. इस बात की भी जानकारी सामने आई है कि अयोध्या के अभी 3500 वर्षों की पौराणिक, धार्मिक और इतिहास की जानकारी मिल पाई है. अध्ययन आगे बढ़ा तो और भी पुरातन साक्ष्य मिलेंगे.
मिले काफी पुराने साक्ष्य
अध्ययन की मानें तो अयोध्या से जुड़े प्रमाण जिस समय के मिले हैं, उस समय मुगलों का अस्तित्व ही नहीं था. भारत में मुगल तो 1500 के बाद आए थे. जानकारी दें कि 1968 में जन्मभूमि के 500 मीटर के दायरे की खोदाई से जो साक्ष्य जुटाए गए थे, उसका नक्शा बीएचयू में सुरक्षित है. वहीं, जिस पेपर पर नक्शा बना है, उसे जापान से मंगवाया गया था. इस नक्शे को अब प्रमाणिकता मिली है.
बीएचयू में किया गया अध्ययन
आपको बता दें कि बीएचयू के प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग ने 56 साल पहले किए गए अध्ययन और उससे मिले साक्ष्यों को अब सामने रखा है. वहीं, इसको लेकर पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. ओंकारनाथ सिंह, डॉ. अशोक सिंह, डॉ. उमेश सिंह ने जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पुरावशेषों को सहेजने के साथ ही इससे जुड़े शोध को रिसर्च पेपर में प्रकाशित किया जाएगा. इसी के साथ जो सामग्रियां खुदाई के दौरान मिली थी, उनका दस्तावेजीकरण कराने के साथ ही फोटोग्राफी कराई जा रही है. आने वाले दिनों में इसे देशवासियों के सामने रखा जाएगा.
इस अध्ययन पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने भी मुहार लगाई है. प्रो. ओंकारनाथ व डॉ. अशोक सिंह का कहना है कि पुरातत्वविद डॉ. बीबी लाल ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के निर्देशन में खोदाई कराई, तो वही साक्ष्य सामने आए, जो बीएचयू के पुरातत्वविदों की खोदाई में मिले थे. जो साक्ष्य मिले हैं उनमें विष्णु मंदिर होने की जानकारी भी सामने आई है. वहीं, इस खुदाई के दौरान विशिष्ट बर्तन मिले थे. माना जा रहा है कि उस समय पर इन बर्तनों का प्रयोग विशिष्ट लोग किया करते थे.
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