हाल ही में कांग्रेस पार्टी की स्थिति को लेकर आचार्य प्रमोद कृष्णम का एक तीखा और विचारोत्तेजक बयान सामने आया है, जिसने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है. आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कांग्रेस की मौजूदा हालत को एक ऐसी “दुकान” से जोड़ा, जहां न तो सौदा बचा है और न ही खरीददार. उनके इस कथन ने न केवल कांग्रेस के भविष्य पर सवाल उठाए हैं, बल्कि पार्टी के शीर्ष नेतृत्व, खासकर राहुल गांधी, को भी कठघरे में खड़ा कर दिया है.
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने अपनी बात को बेहद सटीक और प्रतीकात्मक ढंग से रखा. उन्होंने कहा, कोई भी दुकान दो कारणों से बंद होती है – या तो उसमें बेचने के लिए कुछ रहता नहीं, या फिर जो कुछ है, उसके खरीददार नहीं मिलते. कांग्रेस के संदर्भ में उनका दावा है कि दोनों ही स्थितियां सच साबित हो रही हैं. एक ओर पार्टी के पास अब कोई ठोस नीति, विचारधारा या पेशकश नहीं बची है जो जनता को आकर्षित कर सके, और दूसरी ओर जनता का भरोसा और रुझान भी कांग्रेस से छिटकता जा रहा है. यह टिप्पणी कांग्रेस की कमजोर होती राजनीतिक जमीन और नेतृत्व के संकट को उजागर करती है.
जब तक राहुल गांधी कांग्रेस के नेतृत्व में बने रहेंगे, तब तक पार्टी का पुनर्जनम है असंभव
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने भविष्यवाणी की है कि यदि कांग्रेस को अपनी खोई हुई ताकत और प्रासंगिकता वापस हासिल करनी है, तो साल 2027 से पहले उसे एक नए स्वरूप में ढलना होगा. लेकिन इसके लिए उन्होंने एक कठोर शर्त रखी– राहुल गांधी को पार्टी से बाहर करना. उनका मानना है कि जब तक राहुल गांधी कांग्रेस के नेतृत्व में बने रहेंगे, तब तक पार्टी का पुनर्जनम असंभव है. यह दावा कांग्रेस के भीतर और बाहर एक तीखी बहस का आधार बन गया है. उन्होंने कांग्रेस के पुराने नेताओं और समर्थकों से अपील की कि वे वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाएं और राहुल गांधी को पार्टी से “बर्खास्त” करने का साहसिक कदम उठाएं.