स्वामी दयानंद के जीवन में शिव के विषपान, राम की मर्यादा और कृष्ण की दूरदर्शिता का अद्भुत सम्मिश्रण था
महर्षि दयानंद के व्यक्तित्व और उनके अद्वितीय कार्यों की सराहना करते हुए आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, स्वामी दयानंद के जीवन में शिव के विषपान, राम की मर्यादा और कृष्ण की दूरदर्शिता का अद्भुत सम्मिश्रण था, जिससे उनका व्यक्तित्व अत्यंत प्रभावशाली बना। उन्होंने अपने समय में अंधविश्वास को समाप्त करने के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए और समाज को जागरूक किया। उनके विचार और उपदेश आज भी समाज में प्रासंगिक हैं।आचार्य प्रमोद कृष्णम ने आगे कहा, महर्षि दयानंद ने न सिर्फ धार्मिक सुधार किए, बल्कि देश को एक नई दिशा दिखाई। उन्होंने समाज को अंधविश्वास, पाखंड और झूठे आस्थाओं से मुक्ति दिलाने के लिए कठोर संघर्ष किया। आचार्य कृष्णम ने यह भी कहा कि देश में आज भी कुछ शक्तियां हैं, जो देश को विभाजित करने की कोशिश कर रही हैं।
देश जयचंदों के कारण नहीं हो पा रहा है एकजुट- आचार्य प्रमोद कृष्णम
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने उदाहरण देते हुए कहा, “पहले देश जयचंदों के कारण गुलाम हुआ और अब भी कुछ जयचंदों के कारण देश एकजुट नहीं हो पा रहा है। हमारा संकल्प है कि हम इन जयचंदों को पहचानें और उनके मंसूबों को सार्वजनिक करें।” अपने संबोधन में राष्ट्र और सनातन धर्म के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताते हुए आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, वह सदैव राष्ट्र की एकता और सनातन धर्म की रक्षा के लिए समर्पित रहेंगे। इस मौके पर प्रदेश सरकार के पर्यटन मंत्री ठाकुर जयवीर सिंह उपस्थित रहे।