CMD Upendrra Rai Speech: ‘भारतीय पत्रकारिता महोत्सव’ में भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन उपेंद्र राय का संबोधन

Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Bhartiya Patrakarita Mahotsav 2024: भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय आज मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में आयोजित ‘भारतीय पत्रकारिता महोत्सव’ में शरीक हुए. वहां रविवार की शाम 4 बजे विचार-विमर्श के सत्र में उन्होंने ‘भारत का भविष्य और मीडिया’ पर अपने विचार व्यक्त किए. अपने संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि मैं लंबे समय से इंदौर प्रेस क्लब और उनके आयोजनों से जुड़ा हुआ हूं. हम इंदौर में आते रहे हैं.

‘भारतीय पत्रकारिता महोत्सव’ में भारत एक्सप्रेस के चेयरमैन और एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय ने वहां उपस्थित श्रोताओं के समक्ष कहा, “मुझे यहां ‘भारत का भविष्य और मीडिया’ पर तो विचार रखने ही हैं, साथ ही साथ मानवाधिकार और प्रेस की स्वतंत्रता पर भी कुछ कहना है. उससे पहले एक कहानी आपको सुनाता हूं. भारतीय के महान संत एवं गणिताचार्य स्वामी रामतीर्थ की, जिन्हें गणित के प्रमुख अध्यापक के रूप में जाना गया.”

स्वामी रामतीर्थ की कहानी

उन्होंने कहा, “स्वामी रामतीर्थ एक बार जापान जा रहे थे. उस जमाने में इन दिनों की तरह यात्रा नहीं होती थी कि कोई एयरोप्लेन या स्पीड से चलने वाले शिप में बैठ जाएं और 8-9 घंटे में दूर-परदेश पहुंच जाएं. उन दिनों पानी के जहाज से यात्राएं होती थीं. जिनसे सफर पूरा होने में महीनों लग जाते थे.”

“स्वामी रामतीर्थ ने जहाज पर देखा कि एक बुजुर्ग चाइनीज भाषा (मंडारिन) सीख रहा था. आपको मालूम ही होगा कि चीन की भाषा दुनिया में सबसे कठिनतम मानी जाती है. जिस तरह अंग्रेजी में 26 अल्फाबेट हैं और हमारी भाषा में वर्णमाला 36 हैं, उसी प्रकार ​जब चाइनीज भाषा की बात करेंगे तो उसमें लाख से ज्यादा वर्णमालाएं हैं. चाइनीज भाषा में पारंगत होने के लिए आपको एक लाख चित्रात्मक वर्णमालाएं सीखनी पड़ेंगी. ”

चीनी भाषा सीख रहे व्यक्ति को देख पनपी जिज्ञासा

स्वामी रामतीर्थ ने बुजुर्ग से कहा कि आपकी उम्र ज्यादा हो चुकी है. ऐसे में इस भाषा को सीखकर आप क्या करेंगे? बुजुर्ग ने जवाब में कहा— “मुझे लगता है आप भारत से हैं.” स्वामी रामतीर्थ ने पूछा कि आपको मेरे सवाल का उत्तर देने के बजाए मेरे देश के बारे में पूछने से क्या आशय है? बुजुर्ग से बातें करने के बाद स्वामी रामतीर्थ जब भारत वापस आए तो उन्होंने पूरे वार्तालाप का जिक्र किया.

बुजुर्ग ने उनसे कहा था​ कि “भारत का आदमी इतना निराशाजनक सवाल पूछता है, इतनी हताशा से भरा सवाल पूछता है, मैंने तो कभी सोचा ही नहीं कि मैं ये कब सीखूंगा. मैं बस आनंद लेने के लिए ये सीख रहा हूं. मेरी ​जितनी लंबी जिंदगी बाकी है, उस ​जीवन को मैं इस नई भाषा के साथ जीना चाहता हूं.”

‘बहादुर बनने की शुरुआत जुटने से होती है’

एडिटर-इन-चीफ उपेन्द्र राय ने बहादुरता और कायरता का भी जिक्र किया. उन्‍होंने कहा, “अगर किसी के कंधे पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी है और हजारों साल की गुलामी है तो यह दोनों चीजें मिलकर हमें कायर तो बना ही देती हैं, लेकिन बहादुर बनने की शुरुआत वहां से होती है, जब हम अपने आंखों में भविष्य के सपने लेकर चलना शुरू करते हैं, उनको बुनना शुरू करते हैं, उसके लिए आवाज उठाना शुरू करते हैं.

कलाम साहब ने नारा दिया था “विजन-2020″, वो जब राष्ट्रपति थे तो काफी जगह अखबारों में उनकी किताब के बारे में छपा, कई लोगों ने उस पर लिखा. हालांकि हम अभी वहां पहुंचे नहीं हैं, विजन-2020 पर. लेकिन शुरुआत बहुत अच्छी हुई है, कुछ चीजें भारत में बहुत अच्छी हुई हैं. जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में बहुत जबरदस्त काम हुआ है.”

आत्मनिर्भर भारत के नारे से चेतना जागी

उन्‍होंने कहा कि ‘प्रधानमंत्री मोदी ने “आत्मनिर्भर भारत” का नारा दिया, लेकिन आत्मनिर्भर अगर आप हजारों साल से आत्मनिर्भर नहीं हैं, तो दो साल में आत्मनिर्भर नहीं बन जाएंगे. लेकिन एक शुरुआत अच्छी हुई है, लोगों के अंदर एक चेतना जगाने का काम इस सरकार ने किया. जो अच्छे काम है उनकी तारीफ भी होनी चाहिए, जैसे स्‍वच्‍छता अभियान है. प्रधानमंत्री मोदी ने इसके लिए आह्वान किया. उनकी सरकार के प्रयास रंग लाए.’

आत्मनिर्भर भारत के नारे से चेतना जागी.

 

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