कोर्ट की फटकार के बाद पतंजलि ने अखबारों में छपवाया माफीनामा, जानिए क्या कहा?

Abhinav Tripathi
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Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Patanjali Ad Case: पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में कल यानी मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि वो अखबारों में छपे माफीनामा से वो संतुष्ट नहीं है. कोर्ट ने पतंजलि को फटकार भी लगाई. इसके बाद पतंजलि ने अखबारों में एक नया विज्ञापन जारी किया है. आज अखबारों में छपे विज्ञापन में पतंजलि आयुर्वेद के सह-संस्थापक योग गुरु रामदेव और आचार्य बालकृष्ण द्वारा एक माफीनामा प्रकाशित कराया गया है.

दरअसल, मंगलवार को पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनावाई की थी. इस सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि क्या अखबारों में छपा विज्ञापन उतना ही बड़ा है, जितना भ्रामक विज्ञापन दिया गया था. क्या आप हमेशा इतने साइज का ही विज्ञापन देते हैं?

पतंजलि ने छपवाया विज्ञापन

आज के अखबारों में पतंजलि ने विज्ञापन छपवाया है. स्वामी रामदेव, पतंजलि और बालकृष्ण के नाम से ये विज्ञापन अखबारों में छपवाए गए हैं. इस विज्ञापन में लिखा गया है,”भारत के माननीय सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन प्रकरण के संदर्भ में माननीय सर्वोच्च न्यायलय के निर्देशों/ आदेशों का पालन न करने अथवा अवज्ञा के लिए हम व्यक्तिगत रूप से, साथ ही कंपनी की ओर से बिना शर्त क्षमायाची हैं.

हम विगत 22.11.2023 को बैठक/ संवाददाता सम्मेलन आयोजित करने के लिए भी क्षमाप्रार्थी हैं. हम अपने विज्ञापनों के प्रकाशन में हुई गलती के लिए भी ईमानदारी से क्षमा चाहते हैं और पूरे मन से प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं कि ऐसी त्रुटियों की पुनरावृति नहीं होगी. हम पूरी सावधानी और अत्यंत निष्ठा के साथ माननीय न्यायालय के निर्देशों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. हम न्यायालय की महिमा का सम्मान बनाए रखने और लागू कानूनों एवं माननीय न्यायालय/ संबंधित अधिकारियों के निर्देशों का पालन करने का वचन देते हैं.”

निवेदक
पतंजलि आर्युवेद लिमिटेड, आचार्य बालकृष्ण, स्वामी रामदेव”

कल हुई थी सुनावाई

आपको बता दें कि मंगलवार को इस मामले में सुनवाई हुई थी. इस दौरान योगगुरु रामदेव और उनके सहयोगी पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के बालकृष्ण ने न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ को बताया था कि उन्होंने भ्रामक विज्ञापनों पर 67 समाचार पत्रों में बिना शर्त सार्वजनिक माफी मांगी है. हालांकि, कोर्ट ने कहा कि ये विज्ञापन उस साइज के नहीं है, जिस साइज के भ्रामक विज्ञापन थे. कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 30 अप्रैल की तिथि निर्धारित की है.

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