Animal Census: देश में शुक्रवार से 21वीं पशुधन गणना की शुरूआत की गई है, जिसका फरवरी 2025 तक पूरा होने संभावना है. देश में पशुओं के गिनती का यह कार्य केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने को 200 करोड़ रुपये की लागत से शुरू किया है.
इस दौरान उन्होंने कहा कि सटीक आंकड़ों की उपलब्धता से सरकार को पशुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और इस क्षेत्र में उच्च विकास हासिल करने के लिए नीतियां बनाने में मदद मिलेगी.
अगले साल आएगी रिपोर्ट
पशुधन गणना के साथ ही केंद्रीय मंत्री ने महामारी की तैयारी और प्रतिक्रिया के लिए भारत में पशु स्वास्थ्य सुरक्षा को मजबूत करने के मकसद से 2.5 करोड़ डॉलर की महामारी निधि परियोजना भी शुरू की. वहीं, एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने अपने मंत्रालय के अधिकारियों से इस गणना अभियान की नियमित रूप से निगरानी करने को कहा. इस अभियान के रिपोर्ट की अगले साल आने की उम्मीद है.
फरवरी 2025 तक चलेगी प्रक्रिया
बता दें कि 21वीं पशुधन गणना 25 अक्टूबर 2024 से शुरू हुई है, जो फरवरी 2025 तक चलेगी. इस प्रक्रिया में अखिल भारतीय स्तर पर करीब एक लाख क्षेत्रीय अधिकारी शामिल होंगे. जिसमें ज्यादातर पशु चिकित्सक या पैरा-पशु चिकित्सक होंगे हैं. इस दौरान देश ममें मौजूद 16 प्रजातियों की 219 देशी नस्लों के आंकड़े एकत्र किए जाएंगे.
डिजिटल तरीके से रखी जाएगी नजर
कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री ने इस जनगणना में लाए गए इनोवेशन का भी जिक्र करते हुए कहा कि इसमें डेटा कलेक्शन के लिए मोबाइल एप्लिकेशन और वेब-आधारित डैशबोर्ड के जरिए वास्तविक समय की निगरानी की जाएगी, जो आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
15 प्रजातियों का एकत्र किया जाएगा डेटा
बता दें कि 21वीं पशुधन गणना में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के करीब 30 करोड़ से ज्यादा परिवारों को शामिल किया जाएगा. वहीं, इस गणना के माध्यम से गाय, भैंस, भेड़, बकरी, सुअर, ऊंट, घोड़ा, खच्चर, गधा, कुत्ता, खरगोश और हाथी जैसी 15 प्रजातियों (मुर्गी को छोड़कर) का डेटा एकत्र किया जाता है. खास बात ये है कि मुर्गी, बत्तख, टर्की, गीज़, बटेर, शुतुरमुर्ग जैसे पोल्ट्री पक्षियों की गिनती भी हर घर और संस्थानों में जाकर की जाएगी.
वहीं, केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा कि “पशुधन गणना केवल एक गणना नहीं है, बल्कि यह एक महत्वपूर्ण अभ्यास है जो खाद्य सुरक्षा, गरीबी उन्मूलन और ग्रामीण विकास के लिए हमारी राष्ट्रीय रणनीतियों में सहायक है.”
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